अलवर में हनुमान सर्किल पर प्रस्तावित बस स्टैंड निर्माण और सड़क चौड़ीकरण योजना पिछले चार महीनों से ठंडे बस्ते में पड़ी है। प्रशासन हर सप्ताह बजट घोषणाओं की समीक्षा बैठकें कर रहा है, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है।
अलवर में हनुमान सर्किल पर प्रस्तावित बस स्टैंड निर्माण और सड़क चौड़ीकरण योजना पिछले चार महीनों से ठंडे बस्ते में पड़ी है। प्रशासन हर सप्ताह बजट घोषणाओं की समीक्षा बैठकें कर रहा है, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है। प्रोजेक्ट के हो रही देरी जनता को अखर रही है। नेताओं ने भी जिस तरह प्रोजेक्ट मंजूरी में दिलचस्पी दिखाई, वह अब धरातल पर लाने में नहीं दिख रही।
हनुमान सर्किल पर यूआईटी ने जमीन अधिग्रहित की है, जिस पर नया बस स्टैंड बनाया जाएगा। जमीन का मामला तीन माह से चल रहा है, लेकिन रोडवेज व यूआईटी समुचित निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। मास्टर प्लान में यह प्रोजेक्ट इसलिए शामिल किया गया था कि पुराने बस स्टैंड जाने वाली बसों के कारण शहर में जाम न लगे। बसों का बाहर से ही संचालन हो जाए। इसके अलावा अलवर से नए रूटों के लिए बसों का संचालन होगा। जनता की राह आसान करनी थी, लेकिन नेता 65 करोड़ रुपए मंजूर कराकर सो गए। अफसर केवल बैठकों तक सीमित हैं।
यूआईटी से सेवानिवृत्त एक्सईएन प्रमोद शर्मा का कहना है कि जनहित के प्रोजेक्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। चार माह में काम धरातल पर आना चाहिए था। इससे जनता में भी सरकारों के प्रति गलत संदेश जाता है। बसों का संचालन जितना जल्दी हो सके, हनुमान सर्किल से होना चाहिए। इसके लिए प्रशासन बाधाएं दूर करके काम शुरू करे।
भूगोर तिराहे से हनुमान सर्किल तक टू-लेन मार्ग है। इसके चौड़ीकरण का प्रस्ताव बजट घोषणा के जरिए पास हुआ, लेकिन यह प्रस्ताव भी जस का तस है। इस मार्ग के चौड़ीकरण में तमाम अतिक्रमण हटेंगे। कुछ दुकानें, बारातघर भी सरकारी जमीन से पीछे किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि कदम इसलिए आगे नहीं बढ़ रहे। यह प्रस्ताव कई बार बैठकों में आया, लेकिन रिजल्ट जनता को नहीं दिखे।