अलवर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) अलवर के प्रयासों से बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा आरती बालिका गृह में भेजी गईं दो नाबालिग बहनों को उनके पतियों को सुपुर्द किया गया है।
अलवर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) अलवर के प्रयासों से बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा आरती बालिका गृह में भेजी गईं दो नाबालिग बहनों को उनके पतियों को सुपुर्द किया गया है। यह निर्णय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अलवर की अदालत ने 20 अगस्त, 2025 को बाल कल्याण समिति के आदेश को रद्द करते हुए दिया।
दोनों बहनों को पुलिस ने एक रिपोर्ट के आधार पर बाल कल्याण समिति, अलवर के समक्ष प्रस्तुत किया। उनकी मां ने थाना उद्योग नगर में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप था कि उनकी बेटियों का अपहरण कर उन्हें बेच दिया है और उनका देह व्यापार कराया जा रहा है। मामले में बच्चियों को बाल कल्याण समिति के आदेश पर आरती बालिका गृह, अलवर में रखा गया था।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मोहनलाल सोनी द्वारा निरीक्षण के दौरान उनकी काउंसलिंग की, जिसमें दोनों बहनों ने बताया कि उनका विवाह हुआ है और वे अपनी मर्जी से अपने पतियों के साथ रहना चाहती हैं। उनमें से एक बहन ने यह भी बताया कि वह गर्भवती है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अपनी मां के साथ नहीं जाना चाहतीं।
काउंसलिंग के बाद दोनों बालिकाओं के पतियों ने बाल कल्याण समिति के समक्ष उन्हें सुपुर्द किए जाने के लिए एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसे समिति ने 12 अगस्त, 2025 को खारिज कर दिया। इसके बाद बालिकाओं के पतियों द्वारा विधिक सहायता प्रदान करते हुए चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल के माध्यम से बाल कल्याण समिति के इस आदेश के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय, अलवर में अपील दायर करवाई गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बालिकाओं के बयान लिए।
बालिकाओं ने न्यायालय में अपने पतियों के साथ रहने की इच्छा दोहराई। उन्होंने बताया कि उनकी शादी उनकी मर्जी से की गई थी और उन्हें बेचा नहीं गया है। न्यायालय ने हिंदू अल्पसंयक और अभिभावक अधिनियम, 1956 की धारा 6 का उल्लेख किया, जिसके तहत एक विवाहित नाबालिग बालिका का अभिभावक उसका पति होता है। न्यायालय ने बाल कल्याण समिति के 12 अगस्त, 2025 के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने आदेश दिया कि बालिकाओं को उनके पतियों को सुपुर्द करने के बाल कल्याण समिति को आदेश दिए।