मदर मिल्क बैंक उन शिशुओं के लिए जीवनदान साबित हो रहा है, जिनकी माताएं उन्हें स्तनपान नहीं करवा रही हैं।अलवर के जनाना अस्पताल में बने मदर मिल्क बैंक में एकत्रित दूध से अब तक 20 हजार 400 से अधिक शिशुओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
अलवर. मदर मिल्क बैंक उन शिशुओं के लिए जीवनदान साबित हो रहा है, जिनकी माताएं उन्हें स्तनपान नहीं करवा रही हैं।अलवर के जनाना अस्पताल में बने मदर मिल्क बैंक में एकत्रित दूध से अब तक 20 हजार 400 से अधिक शिशुओं को लाभान्वित किया जा चुका है। साथ ही कोविड से पूर्व मदर मिल्क कलेक्शन एंड डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर, मेडिकल कॉलेज अजमेर को भी 3 हजार एमएल दूध यहां से भेजा गया था। ताकि जरूरतमंद शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जा सके। मदर मिल्क बैंक के स्थापना के बाद से अभी तक करीब 16 हजार माताएं यहां 40 हजार से अधिक बार दुग्धदान कर चुकी है। इस दौरान 50 लाख 55 हजार एमएल से अधिक दुग्ध दान किया जा चुका है। जो जरूरमंद शिशुओं को उपब्ध कराया जा रहा है।
मदर मिल्क बैंक की ही देन है कि महिला अस्पताल में आने वाले किसी भी शिशु को यदि स्वयं की मां का दूध नहीं मिलता है तो उसे बाहर से दूध लाने की जरूरत नहीं पड़ती, मदर मिल्क बैंक से तुरंत दूध मिल जाता है। यही नहीं जिन माताओं को दूध नहीं आता उनके लिए मदर मिल्क में ब्रेस्ट फीडिंग की सर्विस भी दी जा रही है। इसमें नवजात शिशु को दुग्ध पान कराने संबंधी जानकारियां दी जाती है। इससे कुछ कोशिशों के बाद महिलाओं को दूध भी आना शुरु हो जाता है। मदर मिल्क बैंक के जरिए ब्रेस्ट फीडिंग की सर्विस देकर 16 सितंबर 2016 से अभी तक 33 हजार 500 से अधिक माताओं को स्तनपान के लिए सक्षम बनाया जा चुका है।
एक्सपर्ट:
स्तनपान से नवजात शिशु की मृत्युदर को 16 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। साथ ही एक वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर को 22 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। स्तनपान कराने से मां व शिशु दोनों स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मां का दूध सुपाच्य होने से इससे शिशु के पेट में किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं होती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही दमा व कान संबंधी बीमारी पर भी नियंत्रण करता है। इससे रक्त कैंसर, मधुमेह व उच्च रक्तचाप का खतरा कम होने के साथ ही मां व शिशुओं के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। यही नहीं स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के बाद होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलने के साथ ही प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्त्राव पर भी नियंत्रण रहता है। इससे तनाव कम होने के साथ ही हृदय रोग, रुमेटी गठिया, स्तन व गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कम होता है।
डॉ. अमनदीप, प्रभारी, आंचल मदर मिल्क बैंक, अलवर