सरकारी स्कूलों में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी पाने वाले कार्मिकों की अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
सरकारी स्कूलों में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी पाने वाले कार्मिकों की अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। शिक्षा विभाग ने ऐसे मामलों पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि विभाग में कार्यरत दिव्यांग श्रेणी के सभी कर्मचारियों का राजकीय मेडिकल कॉलेज या हॉस्पिटल के अधिकृत मेडिकल बोर्ड से पुन: मेडिकल परीक्षण कराया जाए। इसके आदेश निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान सीताराम जाट ने जारी किए हैं।
यदि जांच में किसी कर्मचारी का प्रमाण-पत्र संदिग्ध या फर्जी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और मामला एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को सौंपा जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि कई जिलों में दिव्यांग प्रमाण-पत्रों में अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे यह दोबारा परीक्षण अनिवार्य किया गया है।
अलवर सहित कई जिलों में ऐसे कर्मचारी सामने आए हैं जो फर्जी प्रमाण-पत्रों के दम पर दिव्यांग कोटे से नौकरी कर रहे हैं। ये लोग वास्तविक दिव्यांगों के अधिकारों को छीन रहे हैं। अब ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें नौकरी से बाहर करने की तैयारी है। वहीं, शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल फर्जीवाड़े पर लगाम लगाएगा, बल्कि वास्तविक दिव्यांगों को उनका हक दिलाने की दिशा में सुधार साबित होगा।