दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का असर अब अलवर पर भी दिखने लगा है। ग्रेप-3 लागू होने के बाद जिले के सैकड़ों उद्योगों में उत्पादन पर ब्रेक लग जाएगा, जिससे रोजगार और कारोबार दोनों पर संकट मंडरा रहा है।
अलवर। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का असर अलवर जिले पर भी पड़ने लगा है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप-3) लागू होने के बाद अलवर के एमआईए और राजगढ़ के सैकड़ों उद्योगों में उत्पादन पर ब्रेक लगने वाला है। एमआईए (मत्स्य इंडस्ट्रियल एरिया) में करीब 150 और राजगढ़ में 100 से अधिक ऐसे उद्योग हैं, जो खनन, क्रेशर और कंस्ट्रक्शन मटीरियल की सप्लाई पर निर्भर हैं।
ग्रेप की पाबंदियां लागू होने के बाद खनन कार्यों पर रोक लग गई है और भारी वाहनों की आवाजाही सीमित हो गई है। इससे कच्चा माल उद्योगों तक नहीं पहुंच पाएगा, जिसके चलते उत्पादन गतिविधियां बंद होने की आशंका है। एमआईए के कई उद्योग सीमेंट, ब्लॉक, आरसीसी पाइप, ग्रेनाइट और स्टोन क्रेशिंग से जुड़े हैं।
खनन बंद होने के कारण उत्पादन आधा रह जाएगा और रोजाना मजदूरी करने वाले श्रमिकों की रोजी-रोटी पर भी संकट गहराएगा। उद्योगपतियों का कहना है कि यह समय उनके लिए नुकसान का है। जब तक कच्चा माल उपलब्ध है, तब तक फैक्ट्री चलेगी, उसके बाद अस्थाई रूप से बंद करनी पड़ेगी।
एनसीआर में नवंबर से जनवरी तक तीन महीने ग्रेप की पाबंदियां झेलनी पड़ती हैं, जबकि अलवर का AQI दिल्ली से करीब चार गुना कम होता है। इससे हर साल उद्योगपतियों का करोड़ों रुपए का कारोबार प्रभावित होता है, साथ ही मजदूरी करने वाले लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।
उद्योगपतियों का कहना है कि ग्रेप की पाबंदी वहां लागू की जानी चाहिए, जहां का प्रदूषण अधिक हो। उधर, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम जरूरी है, ताकि एनसीआर की हवा को जहरीला होने से रोका जा सके। हालात सामान्य होते ही पाबंदियां हटा दी जाएंगी। फिलहाल उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिले में पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन करने वाली औद्योगिक इकाइयों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि ऐसी औद्योगिक इकाइयों पर सख्त कार्रवाई करें, जो खुले मैदान या नालों में औद्योगिक अपशिष्ट और गंदा पानी बहा रही हैं।
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ट्रिब्यूनल में पेश रिपोर्ट के अनुसार 25 औद्योगिक इकाइयां नियमों का पालन नहीं कर रही हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। जिला प्रशासन की ओर से गठित टास्क फोर्स ने औचक निरीक्षण कर इन इकाइयों की रिपोर्ट तैयार की थी। हालांकि, एनजीटी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से दी गई सूची में इकाइयों के पते और उल्लंघनों का पूरा विवरण शामिल नहीं है। इनकी पूरी सूची, पते और उल्लंघन की जानकारी दो सप्ताह के भीतर ट्रिब्यूनल में पेश करनी होगी।