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Jodhpur: जोधपुर काजरी का कमाल, जहां कभी उड़ा करती थी रेत, वहां अब झूम रहे आंवले के बाग, 50 टन उत्पादन

थार के मरुस्थल में अब हरियाली की नई पहचान बन रहा है आंवला। काजरी के 15 साल के शोध ने साबित किया कि रेगिस्तानी जलवायु में भी आंवला बंपर पैदावार दे सकता है।

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Amla in Jodhpur

आंवला। फोटो- पत्रिका

जोधपुर। कभी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद और प्रतापगढ़ की पहचान रहे आंवले ने अब थार के मरुस्थल में भी अपनी जड़ें जमा ली हैं। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के 15 वर्ष लंबे शोध और प्रयोगों के बाद यह सिद्ध हो गया है कि मरुस्थल की शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु में भी आंवले की फसल शानदार पैदावार दे सकती है। इस वर्ष मानसून की लंबी और संतुलित वर्षा के कारण काजरी परिसर में आंवले के पेड़ों पर बंपर फसल आई है।

काजरी परिसर में इस समय हर ओर हरे-भरे आंवले से लदे पेड़ हैं। यहां लगाए गए करीब 275 पेड़ों में प्रति पेड़ औसतन 80 से 100 किलो तक फल प्राप्त हुए हैं। कुल मिलाकर लगभग 50 टन उत्पादन हुआ है। अच्छी वर्षा और बेहतर प्रबंधन के कारण इस बार आंवले के फल आकार में भी बड़े और गुणवत्तापूर्ण हैं। यही कारण है कि देशभर की आयुर्वेदिक व खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां अब राजस्थान के आंवले को प्राथमिकता दे रही हैं।

8 किस्में लगाई, हर साल आते हैं फल

संस्थान में आठ प्रमुख किस्में फ्रांसिस, चकैया, एनए-7, आनन्द, एनए-10, कृष्णा, कंचन और बनारसी उगाई जा रही हैं। इन किस्मों की विशेषता है कि ये क्षारीय और लवणीय भूमि को भी सहन कर सकती हैं तथा मरुस्थलीय परिस्थितियों में भी अनुकूलित हो चुकी हैं। एक बार पौधा लगने के बाद यह हर वर्ष फल देता है, जिससे यह किसानों के लिए लाभकारी फसल बन गई है।

अच्छे मानसून के कारण बम्पर पैदावार

आंवले की सामान्य फसल दिसंबर से मार्च के बीच आती है, लेकिन इस बार मानसून की अच्छी बारिश से अक्टूबर के अंत में ही फलों की आवक शुरू हो गई। नवंबर तक पेड़ों पर फलों की बहार छा गई।

ऐसे जानें आंवले का उपयोग व बाजार

  • 500 से 800 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम विटामिन सी होता है।
  • 20 गुना अधिक विटामिन सी की मात्रा संतरे की तुलना में।
  • 3000 करोड़ रुपए है आंवला आधारित उद्योग।
  • 70 प्रतिशत उत्पाद का उपयोग च्यवनप्राश, त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक औषधियों में।
  • 15 हजार टन आंवला निर्यात करता है भारत।
  • कैंडी, मुरब्बा, जूस, तेल, जैम, टॉफी और जैली जैसे खाद्य प्रसंस्करण में उपयोग।

ये आंकड़े भी देखें

  • 1.25 लाख हेक्टेयर में होती है देश में आंवले की खेती।
  • 11 लाख टन देश में आंवला का उत्पादन।
  • 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में मुख्य उत्पादन।
  • 10 वर्षों में तीन गुना उत्पादन बढ़ा है राजस्थान में।
  • 60 से 100 किलो एक परिपक्व पेड़ से प्राप्त होते हैं फल।
  • 20 से 25 टन उत्पादन होता है एक हेक्टेयर में।

नवीन तकनीकों और उन्नत किस्मों ने आंवला उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। मूल्य संवर्द्धन की संभावनाओं से किसान हर फल की उचित कीमत पा सकते हैं।

  • डॉ. पीआर मेघवाल, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी जोधपुर