सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का टाइगर रिजर्व सहित देशभर के जंगलों की जमीन पर वर्ष 1980 के बाद हुए कब्जों की विस्तृत जानकारी मांगी है। इसके तहत वन विभाग और जिला प्रशासन को अपने-अपने क्षेत्रों में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण का रिकॉर्ड खंगालकर रिपोर्ट तैयार करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का टाइगर रिजर्व सहित देशभर के जंगलों की जमीन पर वर्ष 1980 के बाद हुए कब्जों की विस्तृत जानकारी मांगी है। इसके तहत वन विभाग और जिला प्रशासन को अपने-अपने क्षेत्रों में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण का रिकॉर्ड खंगालकर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। सरिस्का टाइगर रिजर्व के डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि वर्ष 1980 के बाद जहां-जहां जंगल की जमीन पर कब्जे हुए हैं, उसकी संपूर्ण जानकारी एकत्र कर प्रशासन को सौंपी जाएगी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट भेजा जाएगा।
डीएफओ सहारण ने स्पष्ट किया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व की जमीन पर केवल वन्यजीवों का अधिकार है और किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा नियमों के विपरीत है। यदि वन भूमि पर अतिक्रमण पाया जाता है, तो उसे हटाया जाना अनिवार्य होगा। वर्तमान में प्रशासन द्वारा सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र की करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि में से लगभग 55 हजार हेक्टेयर भूमि को विधिवत रूप से रिजर्व के नाम दर्ज किया जा चुका है, जबकि करीब 5 हजार हेक्टेयर भूमि का रिकॉर्ड अभी शेष है।
अधिकारियों के अनुसार शेष बची भूमि के डिजिटल नक्शे जारी होने के बाद म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसी जमीन पर कई स्थानों पर कब्जे होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में प्रशासन को सर्वे कराकर वास्तविक स्थिति का आकलन करना होगा और उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट को जवाब प्रस्तुत किया जाएगा।
सरिस्का का सिलीसेढ़ क्षेत्र बफर जोन में आता है, जहां हाल ही में नियमों के उल्लंघन पर 10 होटलों को सील किया गया है। बताया जा रहा है कि बफर जोन में अन्य प्रतिष्ठान भी अतिक्रमण की श्रेणी में आ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में सरिस्का क्षेत्र में 200 से अधिक अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे, लेकिन उनमें से गिने-चुने मामलों में ही कार्रवाई हो सकी थी। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद प्रशासन पर अतिक्रमण हटाने का दबाव बढ़ गया है।