अलवर. राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय पीएचडी करने में फेल साबित हो रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 2019 में एक हजार विद्यार्थियों से पीएचडी करने के नाम पर आवेदन मांगे और अब तक न तो एंट्रेंस एग्जाम करवाया है और न ही विद्यार्थियों की आवेदन फीस लौटाई हैं। विश्वविद्यालय ने पीएचडी के लिए 2019 में […]
अलवर. राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय पीएचडी करने में फेल साबित हो रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 2019 में एक हजार विद्यार्थियों से पीएचडी करने के नाम पर आवेदन मांगे और अब तक न तो एंट्रेंस एग्जाम करवाया है और न ही विद्यार्थियों की आवेदन फीस लौटाई हैं। विश्वविद्यालय ने पीएचडी के लिए 2019 में आवेदन मांगे थे, इसमें एक हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया। प्रत्येक विद्यार्थी से 2100 रुपए की फीस वसली यानि विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों से 21 लाख रुपए लिए, लेकिन अभी तक परीक्षा नहीं करवाई। इसे लेकर विद्यार्थियों ने धरना-प्रदर्शन भी किया। मामला राज्यपाल तक भी पहुंच चुका है।
यूजीसी नेट के जरिए पीएचडी कर सकेंगे: यूजीसी के नए नियमों से अलवर जिले के विद्यार्थियों को राहत मिलेगी। छह साल से एंट्रेस टेस्ट नहीं होने से विद्यार्थी परेशान थे, नए नियमों से अब वे यूजीसी नेट के जरिए पीएचडी कर सकेंगे। अलवर ही नहीं देशभर में कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां पीएचडी प्रवेश परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है। यूजीसी के इस निर्णय से एक ही टेस्ट के माध्यम से जेआरएफ, नेट एवं पीएचडी में प्रवेश पा सकेंगे। दूसरी ओर नए नियमों से पीएचडी में दाखिला लेने के लिए नेट परीक्षा में अच्छा स्कोर करना होगा।
संसाधन और स्टाफ का टोटा, विद्यार्थी हो रहे हैं परेशान
मत्स्य विश्वविद्यालय पीएचडी कराने के मामले में राजस्थान की, बाकी विश्वविद्यालयों से धीरे-धीरे पिछड़ रही है। पीएचडी कराने के लिए विश्वविद्यालय के पास पूरे संसाधन मौजूद नहीं हैं। इसके चलते विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों और विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विश्वविद्यालय में कोई भी विद्यार्थी पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम की समस्या को लेकर नहीं है। अगर कोई विद्यार्थी अपनी समस्या को लेकर आता है तो आवेदन फीस लौटा दी जाएगी।
- प्रो. शील सिंधु पांडेय, कुलपति, मत्स्य विवि