शहर में पानी के संकट को दूर करने के लिए प्रशासन ने एक और पहल की है। अब 225 वर्गमीटर से बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी होगा। नियम पुराने हैं, लेकिन पालना नहीं हो पाई थी। अब कड़ाई से होगी।
अलवर। शहर में पानी के संकट को दूर करने के लिए प्रशासन ने एक और पहल की है। अब 225 वर्गमीटर से बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी होगा। नियम पुराने हैं, लेकिन पालना नहीं हो पाई थी। अब कड़ाई से होगी। प्रशासन शुरुआत अपने घर से करेगा। यानी पहले सभी सरकारी कार्यालयों में यह सिस्टम विकसित होगा। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि दो साल में सरकारी व निजी भवनों में यह सिस्टम विकसित हो गया तो अगले तीन साल यानी पांचवें साल पानी का 60 फीसदी संकट दूर हो जाएगा।
जिले में 650 से ज्यादा छोटे-बड़े सरकारी कार्यालय हैं। इनके अलावा कॉलेजों की संख्या 250, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या 3 हजार है। सामुदायिक केंद्र भी 40 से ज्यादा हैं। इनमें 40 फीसदी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना हुआ है। बाकी 60 में नहीं बना है। जहां बने हुए हैं, वहां जमीन में पानी पूरी तरह नहीं जा पा रहा। पाइप टूट गए तो कहीं पर कचरा आदि अवरोध बन गया।
इसी तरह शहर में 225 वर्ग मीटर से बड़े मकानों की संख्या करीब 8 हजार है। औसतन हर 5वां भवन इतना ही बड़ा है। ऐसे में 5 में से एक भवन 225 वर्ग मीटर का है और उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनेगा तो वह आसपास के घरों को भी पानी मुहैया कराने का काम करेगा। क्योंकि बारिश का पानी वहां से जमीन में जाएगा। इस पूरी योजना पर यूआईटी को काम करवाना है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए गए हैं। सरकारी कार्यालयों में भी यह बनेगा। इससे पानी संकट को दूर किया जा सकता है।
आर्तिका शुक्ला, जिला कलक्टर