यह आदेश सीजेआइ बीआर गवई ने महाराष्ट्र में एक केस की सुनवाई के दौरान जारी किए हैं।
रणथम्भौर, सरिस्का टाइगर रिजर्व समेत देशभर के अभयारण्यों कब्जाई या आवंटित जमीन वापस करनी होगी। इस पर वन्यजीवों का हक है। यह आदेश सीजेआइ बीआर गवई ने महाराष्ट्र में एक केस की सुनवाई के दौरान जारी किए हैं। उन्होंने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को आदेश दिए हैं कि एक साल की अवधि में इसका पालन किया जाए और जांच के लिए एसआइटी गठित की जाए।
राजस्थान में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व हो या सरिस्का टाइगर रिजर्व। इन दोनों ही अभयारण्यों की जमीनों पर कब्जे हैं। पूर्व में सरकारों की ओर से जमीन आवंटित भी की गई थी, उसमें भी जंगल की जमीन शामिल है। अलवर में भी बड़े पैमाने पर यह पूर्व में किया गया। सरिस्का की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन अभी भी कब्जे में है या फिर लोगों को आवंटित है। यह जमीन प्रशासन को लौटानी होगी। अब तक अधिकारी वन विभाग के पत्रों को कचरे में डाल देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
करीब 6 माह पहले 55 हजार हेक्टेयर जमीन प्रशासन ने सरिस्का के नाम की। अभी काफी जमीन बची हुई है। हाल ही में प्रशासन ने सरिस्का बफर की 130 बीघा जमीन का आवंटन निरस्त किया है। यह ढहलावास, सीरावास, रोगड़ा, रामनगर में थी। अब 25 हेक्टेयर जमीन की खातेदारी सीरावास में करने के आदेश प्रशासन ने दे दिए, जो कि गलत है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के डीएफओ अभिमन्यु सहारण का कहना है कि जंगल की जमीन जहां-जहां कब्जाई हुई है या अन्य कार्यों के लिए आवंटित है, उसका रिकॉर्ड देख रहे हैं। यह रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे। वहां से जो आदेश आएंगे, उसकी पालना कराएंगे।