सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गांवों के पुनर्वास का कार्य एक बार फिर अटक गया है। सरकार की ओर से तय प्रावधान के अनुसार सरिस्का क्षेत्र छोड़ने वाले प्रत्येक परिवार को 6 बीघा जमीन और 4.75 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जानी है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गांवों के पुनर्वास का कार्य एक बार फिर अटक गया है। सरकार की ओर से तय प्रावधान के अनुसार सरिस्का क्षेत्र छोड़ने वाले प्रत्येक परिवार को 6 बीघा जमीन और 4.75 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जानी है। यदि सरकार जमीन व राशि देने के लिए राजी हो, तो यह सभी 24 गांव विस्थापित हो सकते हैं और टाइगरों को स्वच्छंद विचरण मिल सकता है, पर सरकार ऐसा नहीं कर रही है।
सरिस्का के गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया वर्ष 2008 से चल रही है। उमरी, पानीढाल, रोट क्याला, भगानी व डाबली गांव ही विस्थापित हो पाए हैं। बाकी 6 गांव हरिपुरा, क्रास्का, कांकवाड़ी, सुकोला, देवरी आदि का विस्थापन अटका हुआ है। इनके अलावा 18 गांवों को और विस्थापित किया जाएगा। इस तरह 17 साल में पांच गांव ही विस्थापित किए गए हैं।
यदि गांवों के विस्थापन की यही चाल रही, तो तीन दशक से ज्यादा समय लग सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि पूर्व से ही प्रावधान किए गए हैं कि जंगल से एक परिवार को बाहर बसाने के लिए 6 बीघा जमीन दी जाएगी और 4.75 लाख रुपए, पर सरकार इस पर मुहर नहीं लगा पा रही है। अब तक केवल 15 लाख रुपए ही देने के लिए राजी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस रकम में तो रहने के लिए घर भी नहीं खरीद पाएंगे, ऐसे में परिवार के लिए रोजी-रोटी कैसे कमाएंगे? ऐसे में गांवों का विस्थापन पूरी तरह अटक गया है। इस पर तेजी नहीं दिखाई जा रही है।
गांवों के पुनर्वास को लेकर प्रक्रिया सरकार के स्तर से चल रही है। वहां से मुआवजे आदि का निर्धारण होते ही, प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी - जगदीश दहिया, डीएफओ विस्थापन