सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की नई पीढ़ी ‘जेन-एल्फा’ तैयार है। 13 युवा शावक अब अपनी टेरिटरी बनाने निकलेंगे। कभी बाघविहीन रहा सरिस्का अब 50 बाघों का घर है, जिनमें 21 शावक शामिल हैं। नए साल में नामकरण होगा।
अलवर: सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की ‘जेन-एल्फा’ (नई पीढ़ी) अब अपना राज कायम करने को तैयार है। 13 शावक, जो अब जवानी की दहलीज पर हैं, नए साल में अपनी टेरिटरी बनाने निकलेंगे। इन शावकों का नामकरण भी इसी वर्ष किया जाएगा। कभी बाघविहीन रहा सरिस्का अब 50 बाघों का घर बन चुका है, जिनमें 21 शावक हैं।
इनमें से 13 शावक अब अपनी मां की देखरेख से निकलकर स्वतंत्र जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन सवाल यह है, क्या उनके लिए 650 वर्ग किमी जंगल उपलब्ध हो पाएगा? टेरिटरी के लिए संघर्ष की संभावना भी बनी हुई है। यह बदलाव न केवल सरिस्का के वन्य जीवन का नया अध्याय है, बल्कि संरक्षण की सफलता की भी गवाही देता है।
टाइगर अपनी टेरिटरी के लिए खुद जगह निर्धारित करते हैं। ऐसे में दूसरे टाइगरों के साथ संघर्ष भी हो सकता है। सरिस्का वर्ष 2004-05 में बाघविहीन हो गया था। इसके बाद 17 साल में ही यहां बाघों की संख्या बढ़कर 50 पहुंच गई है। शावकों की आयु 17 महीने से 20 महीने के मध्य है। इसी उम्र में शावक अपनी मां से बिछड़ते हैं।
जनरेशन एल्फा 2010 से 2024 के बीच पैदा हुए लोगों का समूह है, जो प्रौद्योगिकी के साथ बड़े हुए हैं और मिलेनियल माता-पिता की संतानें हैं। यह सबसे बड़ी पीढ़ी होगी, जो डिजिटल दुनिया में कुशल होगी और कोविड-19 महामारी जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाओं से प्रभावित होगी। हालांकि, पशुओं पर यह लागू नहीं होता है।
13 मार्च 2024 को बाघिन एसटी : 12 ने 4 शावकों को तालवृक्ष रेंज में जन्म दिया। इन शावकों की आयु करीब 18 महीने हो गई।
29 मई 2024 को एसटी : 27 ने 2 शावकों को जन्म दिया। यह टहला रेंज में हैं। इन शावकों की आयु 17 महीने हो गई।
30 मई 2024 को एसटी : 22 ने 4 शावकों को जन्म दिया था। यह शावक 17 महीने के हो गए।
11 जून 2024 को एसटी : 17 ने 3 शावकों को जन्म दिया। अकबरपुर रेंज में निवास कर रहे इन शावकों की आयु करीब 16 महीने हो गई।
सीनियर गाइड रामोतार मीणा ने बताया कि एक बाघ दो बाघिन की टेरिटरी तक जा सकता है, लेकिन बाघ किसी दूसरे बाघ की टेरिेटरी में प्रवेश नहीं कर सकता। यदि ऐसा होता है तो फिर दोनों के बीच संघर्ष होता है। बाघों की अधिकतम आयु 18 से 20 साल होती है।
एक बाघ शिकार करने के बाद उसका आनंद लेता है और फिर रातभर वह अपनी टेरिटरी में चलता है। करीब 40 से 50 वर्ग किमी एरिया में वह घूम लेता है। सरिस्का में कई शावक बड़े हो रहे हैं, जिनका नामकरण नए साल में किया जाएगा। ये अपनी टेरेटरी बनाएंगे।
-अभिमन्यु सहारण, डीएफओ