अलवर

सिलीसेढ़ से पानी लाने की बाधा दूर, वन्यजीव बोर्ड से बोरिंग खोदने की मिली NOC 

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से बोरिंग खोदने के लिए एनओसी मिल गई है। सरिस्का प्रशासन ने एनओसी की कॉपी जलदाय विभाग को भेज दी है।

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Oct 03, 2024

सिलीसेढ़ से शहर में पानी लाने की पहली बाधा दूर हो गई है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से बोरिंग खोदने के लिए एनओसी मिल गई है। सरिस्का प्रशासन ने एनओसी की कॉपी जलदाय विभाग को भेज दी है। यह शहर के लिए एक खुशखबरी है। माना जा रहा है कि 9 माह में पानी शहर में आ सकता है, लेकिन गर्मी के 6 माह बचे हैं। ऐसे में चुनौती प्रशासन के सामने होगी। हालांकि संभावनाएं हैं कि प्रशासन इस प्रोजेक्ट पर दिन-रात काम करेगा तो मार्च-अप्रैल 2025 तक काम पूरा हो सकता है।

इस तरह मिली एनओसी

सिलीसेढ़ सरिस्का टाइगर रिजर्व का बफर क्षेत्र है। ऐसे में यहां कोई भी नया कार्य होगा तो उसके लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति जरूरी है। यह प्रस्ताव प्रशासन के जरिए सरकार को गया और वहां से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बाद राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड पहुंचा। वहां से हाल ही में एनओसी दे दी गई। यह कार्य जनता के हित का है। ऐसे में बोर्ड ने इस कार्य में देरी नहीं की। हालांकि इस प्रक्रिया में एक माह लग गया।

ये बनाया गया प्रोजेक्ट

सिलीसेढ़ से 20 बोरिंग के जरिए पानी लाने का प्रोजेक्ट 3 माह पहले मंजूर हुआ था। करीब 23 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार को लगाने हैं। सिलीसेढ़ के आसपास 20 बोरिंग जलदाय विभाग को करनी है। वहीं पर पंप हाउस बनाकर पाइपलाइन से शहर में पानी लाना है। सिलीसेढ़ के आसपास 150 फीट पर पेयजल है, जबकि शहर में 400 फीट से ज्यादा गहराई में पानी है। यहां पानी का स्तर बना रहेगा, यह भी तय नहीं था। ऐसे में सिलीसेढ़ एरिया ही पानी लाने के लिए मुफीद समझा गया।

पहले बनाया गया था 38 करोड़ का प्रस्ताव

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में सिलीसेढ़ से पानी लाने का प्रस्ताव 38 करोड़ का था। वहां झील के पानी का शोधन करना था। मशीनें लगनी थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। इसका नुकसान ये था कि झील का पानी सूख जाएगा और पानी के जीवों को नुकसान होगा। अब नई सरकार आई तो यह प्रोजेक्ट लॉन्च हुआ।

अब विभाग को यह करना होगा

अब जलदाय विभाग सिलीसेढ़ झील से एरिया का सर्वे करके बोरिंग करेगा और पंप हाउस बनाकर पानी की लाइन शहर तक बिछाएगा। इस कार्य के लिए जलदाय विभाग को इंजीनियर चाहिए, जो कि गिनती के हैं। साथ ही इस प्रोजेक्ट को आखिर तक धरातल पर उतारने के लिए स्थाई एक्सईएन चाहिए ताकि बिना रुकावट के वह काम करवा सके। प्रशासन को भी पूरे प्रोजेक्ट की गहनता से निगरानी करनी होगी।

सिलीसेढ़ में बोरिंग करने के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमति मिल गई है। संबंधित विभाग को यह एनओसी भेज दी गई है। ऑनलाइन भी इसकी कॉपी विभाग को मिल जाती है - अभिमन्यु सहारण, डीएफओ, सरिस्का टाइगर रिजर्व

Published on:
03 Oct 2024 11:36 am
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