अलवर

तो सरिस्का के सभी टाइगर दूसरे अभयारण्यों में करेंगे शिफ्ट

अलवर. सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने के बाद लोगों में खुशी है, लेकिन यहां का प्रशासन बाघों की संख्या बढ़ने के बाद इन्हें अन्य अभयारण्यों में शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है। बाघ एस-2303 को रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में भेजने की तैयारी की जा रही है। जबकि सरिस्का रिजर्व के गांवों को खाली […]

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Sep 03, 2024

अलवर.

सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने के बाद लोगों में खुशी है, लेकिन यहां का प्रशासन बाघों की संख्या बढ़ने के बाद इन्हें अन्य अभयारण्यों में शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है। बाघ एस-2303 को रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में भेजने की तैयारी की जा रही है। जबकि सरिस्का रिजर्व के गांवों को खाली कराया जाए तो बाघों को टेरेटरी से बाहर जाने से रोका जा सकता है।

दरअसल, सरिस्का अभयारण्य में कुल 29 गांवों की जमीन आती है, लेकिन 15 साल गुजरने के बाद भी केवल पांच उमरी, डाबली, लोज, भगानी, रोटकेला गांवों का विस्थापन हुआ है। शेष गांवों के विस्थापन की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

पैकेज दिया, मगर नहीं गए ग्रामीण

अभयारण्य के सीटीएच इलाके में बसे किरास्का गांव को 2016 से 17 में पैकेज दिया गया था। इस गांव के 35-40 परिवारों को तालवृक्ष के पास कानपुरा में विस्थापित किया जाना था। गांव वालों ने सहमति दे दी और उन्हें मुआवज की एक-दो किश्त दी गई थी। इसके बावजूद ग्रामीणों ने कानपुरा की जमीन भी ले ली और यहां से गए भी नहीं। आज ये ग्रामीण दोनों जगहों पर खेती कर रहे हैं। यह गांव खाली हो जाए तो 7 टाइगर रह सकते हैं।

10 बाघ बना सकते हैं टेरेटरी

इसी तरह सीटीएच इलाके में राजोरगढ़ गांव भी आता है। यहां भी 40 से 45 से परिवार रह रहे हैं। इस गांव को खाली कराया जाता है तो 10 टाइगर यहां टेरेटरी बना सकते हैं। ज्यादातर गांवों में मुआवजा पैकेज को लेकर विभाग के साथ विवाद बना हुआ है।

बाघों की शिफ्टिंग गलत

सरिस्का टाइगर कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन के सचिव चिन्मय मक मैसी ने बताया कि बाघों की संख्या बढ़ना अलवर के लिए खुशी की बात है। लेकिन जगह की कमी बताकर बाघों को शिफ्ट करना गलत है। सरकार को मुआवजा पैकेज निर्धारित करके प्रभावित गांवों के लोगों को देना चाहिए, ताकि बाघाें को विचरण के लिए जमीन मिल सके।

Published on:
03 Sept 2024 11:53 am
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