सकट क्षेत्र में इस बार मानसून ने किसानों और ग्रामीणों के लिए राहत भरी खुशखबरी दी है। ढाई महीने के भीतर कभी तेज तो कभी मध्यम और रिमझिम बारिश से पहाड़ों में झरने बहने लगे हैं।
सकट क्षेत्र में इस बार मानसून ने किसानों और ग्रामीणों के लिए राहत भरी खुशखबरी दी है। ढाई महीने के भीतर कभी तेज तो कभी मध्यम और रिमझिम बारिश से पहाड़ों में झरने बहने लगे हैं। इन झरनों का पानी नदी-नालों के जरिए बांध, तालाब, जोहड़ और एनीकटों तक पहुंचा, जिससे गांवों के अधिकांश जलस्रोत लबालब होकर छलक पड़े हैं। खासकर बीधोता और देवती जैसे बड़े बांधों में पानी की आवक हुई है।
बारिश और झरनों के बहाव से क्षेत्र के कुओं, बावड़ियों और बोरिंगों का जलस्तर लगातार दूसरे साल भी 30 से 35 फीट तक बढ़ गया है। बीधोता गांव में कई वर्षों से सुखी पड़ी प्राचीन बावड़ी अब पूरी तरह लबालब हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले बारिश कम होने से कुओं का जलस्तर 5 से 10 फीट तक ही बढ़ पाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। कई कुएं तो पानी से भरकर ओवरफ्लो हो रहे हैं और झरनों की तरह खेतों में बह रहे हैं, जिससे खरीफ की फसलें प्रभावित हो रही हैं।
देवती गांव में भी इसी तरह स्थिति बनी। यहां के जिला पार्षद राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि उनका 70 फीट गहरा कुआं पिछले साल गर्मियों में सूख गया था, लेकिन अब लगातार दो साल की अच्छी बारिश से जलस्तर 60 फीट तक पहुंच गया है।
बीधोता के अलावा नाथलवाड़ा, वीरपुर, लाकी, खेड़ली, कुंडला, प्रधाना का गुवाड़ा, पाईं का गुवाड़ा, नारायणपुर और जोनेटा सहित कई गांवों के कुएं व बावड़ियां पानी से भर चुकी हैं। लगातार दूसरे साल हुए इस बदलाव से ग्रामीणों और किसानों में खुशी का माहौल है।