आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है। यह जानते हुए भी शहर में सुसाइड के केस लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे हर कोई चिंता में है। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर युवा हैं। मनोचिकित्सकों का मानना है कि
आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है। यह जानते हुए भी शहर में सुसाइड के केस लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे हर कोई चिंता में है। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर युवा हैं। मनोचिकित्सकों का मानना है कि भागदौड़ से भरी जिंदगी में रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ता तनाव आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं। कुछ लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनी जान दे देते हैं। ऐसे लोगों की काउंसलिंग जरूरी है। यह काम परिवार वाले ही बेहतर कर सकते हैं।
जब व्यक्ति हर तरफ से निराश हो जाता है। उसे लगता है कि कोई उसकी मदद नहीं करेगा। तब हताशा में उसे आत्महत्या का विकल्प आसान लगने लगता है। आत्महत्या का मुख्य कारण तनाव है। इसके अलावा कैंसर आदि असाध्य रोग, नशीले पदार्थों का सेवन और मानसिक रोग भी आत्महत्या के कारण हैं। खराब वित्तीय स्थिति, सामाजिक कारण भी कई बार आत्महत्या के कारणों के रूप में सामने आते हैं....
....वर्तमान में प्रेम प्रसंग और विवाहोत्तर संबंध भी आत्महत्या का कारण बन रहे हैं। जब भी कोई आत्महत्या करता है तो उससे कुछ महीनों पहले ही उसे इसका आभास होने लगता है। ऐसे में समय रहते अपने माता-पिता, साथी, सगे संबंधियों और मनोचिकित्सक की तुरंत मदद लें। तनाव से बचने के लिए नियमित व्यायाम, प्राणायाम, खेलकूद के साथ ही अपने दोस्तों से विचार साझा करें। परिवारजनों को समय जरूर दें। एकाकी प्रवृत्ति से बचने के लिए मोबाइल से दूर रहें और सफल लोगों की जीवनी को पढ़ें। - डॉ. प्रियंका शर्मा, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल अलवर
जिला अस्पताल में इस वर्ष अब तक हुए कुल पोस्टमार्टम के लगभग एक तिहाई केसों में मृत्यु का कारण सुसाइड होना पाया गया है, जिनमें ज्यादातर मौतें विषाक्त पदार्थ का सेवन करने और फंदा लगाने से हुईं। कुछ प्रकरण ट्रेन के आगे आने व पानी में डूबने से मृत्यु होने के हैं। इनमें से ज्यादातर मृतक 15 से 40 वर्ष आयु वर्ग के युवा हैं। प्रारंभिक तौर पर सुसाइड का कारण किसी न किसी वजह से तनाव होना सामने आया है। शहरी क्षेत्र में फंदा लगाने व ग्रामीण क्षेत्रों में विषाक्त पदार्थ का सेवन करने के प्रकरण ज्यादा हैं। - डॉ. पीसी सैनी, मेडिकल ज्यूरिस्ट, जिला अस्पताल अलवर
18 सितंबर : अरावली विहार फेज, वैशाली नगर में अंजलि(19) पत्नी रिंकू जाटव ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने डेढ़ साल पहले ही लव मैरिज की थी।
19 सितंबर : हजूरी गेट निवासी नरेश कुमार(42) पुत्र सतीश वाल्मीकि ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह नगर निगम में ठेके पर सफाई कर्मचारी का काम करता था।
22 सितंबर: हजूरी गेट हरिजन बस्ती निवासी मनीष(25) पुत्र हरि निंदानिया ने रस्सी से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। वह मजदूरी का काम करता था।
24 सितंबर: तिजारा फाटक पुलिया के पास जितेश(42) पुत्र रमेश आहूजा निवासी लाजपत नगर, स्कीम नंबर 2 ने ट्रेन के आगे छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। वह इन्वर्टर, बैट्री और सोलर सिस्टम का काम करता था।
25 सितंबर : जत्ती की बगीची निवासी चिराग माथुर (23) ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। चिराग एमबीए पास था। वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था।
7 अक्टूबर : रेलवे जंक्शन पर मनोज रजवानी निवासी वार्ड 13, बीच का मोहल्ला ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। वह मंडी में आढ़त का काम करता था।
15 अक्टूबर : स्कीम नंबर पांच निवासी 17 वर्षीय वासु अरुण उर्फ चूहा ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। माना जा रहा है कि उसने नशे की लत और मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या की।
23 अक्टूबर: बहाला गांव में राहुल जाटव (27) ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह टाइल्स लगाने का काम करता था। उसका अपने पिता से मकान की किस्त चुकाने को लेकर विवाद हुआ था।
25 अक्टूबर : गंगा मंदिर के पास, बीच का कुआं निवासी उमेश जाटव (25) पुत्र मदन लाल ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक उमेश पिछले कुछ महीनों से बेरोजगार था। बताया जा रहा है कि नशे की लत और बेरोजगारी के कारण उसने आत्महत्या की।