Guruvar Vrat : सनातन (हिंदू) धर्म में गुरुवार के व्रत का विशेष महत्व है। कहा जाता है, सारे ग्रह-नक्षत्र खराब चल रहे हों, पर गुरु को प्रसन्न करने से किसी विपरीत प्रभाव आप पर नहीं पड़ता। आइए जानते हैं, गुरुवार व्रत के नियम, विधि और फायदे..
Guruvar Vrat Benifits : सनातन (हिंदू) धर्म में व्रत करना कई समस्याओं से निपटने का आसान तरीका होता है। इसी कड़ी में कई भक्त भगवान विष्णु और बृहस्पति देव के लिए व्रत रखते हैं। यह व्रत गुरुवार को करना खास फल देता है। इससे भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की अनंत कृपा प्राप्त होती है और दूसरे किसी ग्रह का विपरीत प्रभाव भक्त पर नहीं पड़ता। विस्तार से समझते हैं, इस व्रत के नियम, विधि और फायदे…।
पंडित नीलेश शांडिल्य (उज्जैन) के अनुसार, गुरुवार (बृहस्पतिवार) व्रत सनातन वैदिक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और फलदायी व्रत है। यह धन ,विद्या ,वैभव ,सौभाग्य तथा सुखी दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है। इस व्रत की परंपरा का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों में मिलता है। अग्नि पुराण ,बृहस्पति स्मृति तथा महाभारत में इसके महत्व के बारे में बताया गया है।
पूजन सामग्री : हल्दी, केला, गुड़, धूप दीप, चने का नैवेद्य, पीला आसन, पीला वस्त्र, हवन सामग्री, कपूर, नारियल, मोली, यज्ञोपवित आदि।
पूजन में पीले वस्त्र पहन कर ही बैठें।
पीला आसान ही पूजा में प्रयोग करें।
व्रत के दौरान केले का सेवन न करें, बल्कि छोटे बालक-बालिकाओं को केले दान करें।
संभव हो तो व्रत के दिन केले का पौधा लगा दें।
चैन से बनी चीजों का प्रयोग ही पूजा में करें और स्वयं भी वही खाएं।
एक आहार लें यानी व्रत के दिन एक बार ही भोजन करें।
इस दिन बाल कटवाना या बाल धोना वर्जित होता है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।