धर्म/ज्योतिष

Pitru Paksha 2025: मातामह श्राद्ध से मिलता है मातृ ऋण से छुटकारा, जानें विधि-विधान और धार्मिक मान्यताएं

Matamah Shraddha: 22 सितंबर 2025 को मातामह श्राद्ध है। यानी यह दिन विशेष रूप से माता पक्ष (नाना-नानी) के लिए समर्पित होता है। इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति आती है।

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Sep 17, 2025
जानें क्या होता है मातामह श्राद्ध? (Image Source: Gemini AI)

Matru Rin Mukti: नवरात्रि स्थापना के साथ अधिकांश घरों में मातामह श्राद्ध किया जाता है। ये श्राद्ध नान-नानी के लिए किया जाता है। सर्व पितृ और मातामह नाना, मातामही नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा नवरात्रि के दिन करते है । इस बार मातामह श्राद्ध 22 सितंबर को होगा। संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है।

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मातामह श्राद्ध विधि-विधान (Matamah Shraddha Rituals)

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस दिन परिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध कर्म की तिथि अनुसार करने की परंपरा है। संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है।

धार्मिक मान्यात (Religious Belief)

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र जिंदा हो। अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता। मान्यता के अनुसार, मातामह का श्राद्ध सुख व शांति व सम्पन्नता की निशानी है।

मातामह श्राद्ध में दूसरी पीढ़ी करती है तर्पण-पिंडदान (Second Generation Offers Tarpan-Pinddaan In Matamah Shraddha)

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि दिवगंत परिजन के घर में लड़का ना होए तो लड़की की संतान यानी नाती भी पिंडदान कर सकता है। मान्यतानुसार लड़की के घर का खाना नहीं खा सकते इसलिए मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है।

मातृ ऋण से मिलती है मुक्ति (Relief From Maternal Debt)

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस दिन माता पक्ष यानी मां, नानी का श्राद्ध करने से मातृ ऋण से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मां अपने कुल को वृद्धि, सुख-सौभाग्य व समृद्धि का आशीर्वाद देकर चली जाती हैं। जो लोग माता पक्ष का श्राद्ध नहीं करते, उनको मातृ दोष का भागी बनना पड़ता है।

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Updated on:
18 Sept 2025 10:10 am
Published on:
17 Sept 2025 03:47 pm
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