वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि भगवान से मन्नत मांगते वक्त किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। इस लेख में Premanand Ji Maharaj से समझिए, कि मन्नत किस तरह से मांगने पर भगवान तुरंत सुनते हैं।
Premanand Maharaj Pravachan: वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने एक प्रवचन में मन्नत मांगने के तरीके पर बात की। उन्होंने कहा कि मन्नत सही तरीके से मांगने पर भगवान अवश्य सुनते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि, मन्नत पूरी होने पर भोग चढ़ाना सही होता है या नहीं?
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन के दौरान एक प्रश्न सामने आया कि, क्या भगवान से ऐसा कहना सही कि आप मेरी ये चीज पूरी कर दो तो, मैं आपको ये भेंट दूंगा। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, भगवान से ऐसा कहना ठीक नहीं होता। भगवान सर्वश्रेष्ठ दाता हैं। सबके मालिक हैं और हम सभी उनके बच्चे हैं। ऐसे में अपने पिता से कैसे मांगा जाना चाहिए? क्या एक पिता से ऐसे मांगा जाता है कि, हम 10 लड्डू चढ़ा देंगे, हमें 10 रुपए दे दो। पिता जी से तो ऐसे मांगा जाता है कि, 100 रुपये की जरूरत है दे दीजिए। क्या ऐसे नहीं मांगते हैं हम? वो नहीं देंगे क्या? नहीं…देना तो पड़ेगा। हम किसके पास जाएं? आप हमारे पिता हैं। ऐसे ही भगवान से मांगना चाहिए। यही मांगने का सबसे सही तरीका है।
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि, भगवान से ऐसे मांगो कि प्रभु ये हमारी मुुसीबत है। इसका हल कर दीजिए। अब जैसा आपको सही लगे, जो मेरे लिेए मंगल है…आप कीजिए। हम लोग अज्ञानवश कहते हैं कि, तुम्हें 100 रूपये के लड्डू के भोग लगा देंगे, हमारी मन्नत पूरी करो। हमारा मानना है कि, ये भगवान से मांगने का सही तरीका नहीं है। उनसे सीधे मांगों, कि इस समस्या का समाधान कर दीजिए। आपके सिवा हमारा कोई स्वामी नहीं है। आप जगत के मालिक हैं। अब इसके बाद भोग लगाना है या नहीं लगाना है, ये कहने से बेहतर है कि मन हो तो बिना कहे भोग लगा दो। ठाकुर जी है। अपने प्रभु हैं…लेकिन मांगों, तो पिता की तरह मांगो।
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचनों को ध्यान से सुनने पर समझ आता है कि, यदि आप भगवान से इस तरीके से पार्थना करते हैं और मन्नत मांगते हैं, तो इसकी पूरी संभावना रहती है कि, आपकी मन्नत पूरी हो जाए। धार्मिक विद्वानों के अनुसार, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी गलत उद्देश्य की पूर्ति या किसी का बूरा करने की इच्छा से मन्नत न मांगी जाए। यदि मन्नत सही उद्देश्य की पूर्ति के लिए होती है तो, भगवान तत्क्षण सुनते हैं।