रूबी सूर्य का रत्न है, लेकिन ज़्यादा सोलर एनर्जी वालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। शरीर पर खास तिल या जन्मचिह्न हों तो बिना ज्योतिष सलाह रूबी न पहनें। संतुलन के लिए योग और मंत्र बेहतर विकल्प हैं।
वैदिक ज्योतिष में रूबी (माणिक्य) को सूर्य का रत्न माना जाता है। परंपरागत रूप से इसे आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, साहस और मान-सम्मान बढ़ाने वाला पत्थर कहा गया है। पहले ज्योतिषी कमजोर सूर्य को मजबूत करने के लिए रूबी पहनने की सलाह देते थे।
लेकिन अब ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि हर व्यक्ति के लिए रूबी फायदेमंद नहीं होता। जिन लोगों में पहले से ही “सोलर एनर्जी” या सूर्य का प्रभाव ज्यादा है, उनके लिए रूबी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
ज्यादा सूर्य शक्ति: दोधारी तलवार
ज्योतिष के अनुसार सूर्य सिर्फ ताकत और आत्मसम्मान नहीं, बल्कि ईगो, गुस्सा, महत्वाकांक्षा और तेज़ ऊर्जा का भी प्रतीक है। अगर किसी व्यक्ति में यह ऊर्जा पहले से अधिक है, तो रूबी पहनने से घमंड, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और मानसिक असंतुलन बढ़ सकता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक, शरीर पर कुछ खास जगहों पर तिल या जन्मचिह्न होना सूर्य की मजबूत मौजूदगी का संकेत माना जाता है:
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ज़्यादा सोलर एनर्जी वाले लोग रत्नों की बजाय संतुलन वाले उपाय करें:
सूर्य नमस्कार
“ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप
नियमित दिनचर्या और संयमित जीवनशैली