विष्णु पुराण में बताया गया है कि कुछ वस्तुओं को बेचने से जीवन में अशांति और परेशानियां बढ़ती हैं। इनमें गाय का दूध, गुड़, सरसों का तेल और अन्य शुभ वस्तुएं शामिल हैं। पुराण के अनुसार इन्हें पैसे लेकर बेचना शुभ नहीं माना जाता, बल्कि जरूरत होने पर इसे प्रेमपूर्वक देना ही श्रेष्ठ माना गया है।
हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक विष्णु पुराण जीवन जीने के कई नियम के बारे में बताता है। इसमें कुछ ऐसी चीजों हैं, जिन्हें इंसान को कभी भी बेचने की सलाह नहीं दी गई है। माना जाता है कि इन चीजों का लेन-देन लाभ के उद्देश्य से करने पर जीवन में परेशानियां, अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है। धर्मशास्त्र के अनुसार, चाहे इंसान कितनी भी आर्थिक दिक्कतों से क्यों न गुजर रहा हो, इन चीजों को बेचने से बचना चाहिए।
हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। विष्णु पुराण के अनुसार, गाय का दूध उसके बछड़े का हक होता है और इसे मुनाफे के लिए बेचना पाप माना जाता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के जीवन में मानसिक और आर्थिक कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। हालांकि आधुनिक समय में डेयरी का व्यवसाय आम है, लेकिन शास्त्रों में सलाह दी गई है कि इस कमाई का कुछ हिस्सा दान या सद्कर्म में अवश्य लगाना चाहिए ताकि पाप का प्रभाव कम हो।
गुड़ को शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि गुड़ को कभी पैसे लेकर नहीं बेचना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति आपसे गुड़ मांगता है, तो उसे खुशी और सम्मान के साथ दे देना चाहिए। मान्यता है कि गुड़ को बेचने से घर की खुशहाली कम होती है और आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है।
सरसों का तेल भारतीय परंपरा में रक्षा, ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक है। माना जाता है कि सरसों का तेल भी पैसे लेकर नहीं बेचना चाहिए, विशेषकर धार्मिक दृष्टि से जुड़े कार्यों में, अगर किसी को जरूरत हो, तो तेल को प्रेमपूर्वक दान करने से व्यक्ति के जीवन में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
हालांकि कई जगह इस बात पर अलग-अलग मान्यताएं हैं, लेकिन सामान्य धार्मिक विचार यह कहते हैं कि देवी-देवताओं का प्रसाद या उनसे जुड़ी पवित्र वस्तुएं व्यापार के रूप में नहीं बेचना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य कम हो जाता है।
विष्णु पुराण में बताया गया है कि इन चीजों के व्यापार से व्यक्ति जीवन भर मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक परेशानियों से घिर सकता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि जरूरत पड़ने पर इन्हें प्रेमपूर्वक दान करें, न कि फायदे के लिए बेचें।