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Rain Prediction Astrology: जून में मूसलाधार बारिश से बाढ़ का खतरा, ज्योतिषीय गणना में सूर्य और आर्द्रा का बन रहा गजब संयोग

Rain Prediction Astrology Monsoon Season: भारतीय ज्योतिष में जीवन के हर पहलू पर ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। इसके अनुसार खगोल विज्ञान और ज्योतिष का गहरा संबंध है। धरती पर बारिश के लिए खगोलीय पिंडों (ग्रह) की गति और नक्षत्रों का संयोग बारिश के लिए जिम्मेदार होता है। आइये जानते हैं मानसून और वर्षा को लेकर ज्योतिषशास्त्र की भविष्यवाणी।

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Jun 16, 2025
Weather Update Rain Prediction Astrology Monsoon Season: बारिश का ज्योतिषीय प्रीडिक्शन (Photo Credit: Freepik And Patrika Design)

Rain Prediction Astrology: मौसम विभाग के अनुसार इस साल अनुमानित समय से 8 दिन पहले केरल में मानसून ने दस्तक दे दी थी। मानसून कर्नाटक, महाराष्ट्र और बंगाल में भी अपने निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गया था। लेकिन 29 मई के बाद मानसून स्थिर हो गया। प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय की ज्योतिषीय गणना से जानें कब होगी झमाझम बारिश।

सूर्य का आद्रा नक्षत्र मे प्रवेश मानसून की शुरुआत के संकेत


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों से वर्षा का पता चलता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश मानसून का संकेत माना जाता है। इसे ही बारिश का पहला नक्षत्र माना जाता है। साथ ही अच्छी बारिश तब होती है जब स्त्री पुरुष योग बने, जबकि स्त्री नपुंसक योग कम वर्षा, पुरुष स्त्री योग वर्षा कारक नपुंसक नपुंसक योग अनावृष्टि (अकाल) का कारक होता है। इस साल रविवार, 22 जून 2025 को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं।

मानसून 2025 में कब से कब तक अच्छी बारिश


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 22 जून से 6 जुलाई 2025 तक सूर्य आद्रा नक्षत्र में रहेंगे। इस दौरान स्त्री-पुरुष योग बन रहा है। यह योग अच्छी बारिश का संकेत देता है। इसलिए इस साल मानसून में अच्छी बारिश की संभावना है। यानी जून के अंत से अच्छी बारिश शुरू होगी, जो फसलों के लिए लाभदायक है। इस साल के राजा और मंत्री भी सूर्य ही हैं, इसलिए इस अवधि में अच्छी बारिश की संभावना है। आइये जानते हैं कि इसके बाद कैसी बारिश होगी।

6 जुलाई से 20 जुलाई तक कम होगी बारिश


पंचांग के अनुसार 6 जुलाई से 20 जुलाई के बीच सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर करेंगे। इस समय स्त्री नपुंसक योग बनेगा। यह कम बारिश का संकेत होता है। हालांकि इस अवधि में जलचर नक्षत्र (पुनर्वसु, अश्लेषा, पुष्य) के प्रभाव से कुछ स्थानों पर वर्षा हो सकती है। इस तरह जुलाई के पहले पखवाड़े में मानसून कमजोर रहेगा, इस अवधि में वर्षा में कमी और कुछ क्षेत्रों में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।

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सावन में फिर होगी झमाझम बारिश


सूर्य 20 जुलाई से 5 अगस्त की अवधि में पुष्य नक्षत्र में गोचर करेंगे। इस बीच फिर स्त्री पुरुष योग बनेगा। इससे सावन में भारी बारिश की संभावना है। इस दौरान नदी-नालों में उफान आने की संभावना है।

अगस्त सितंबर में उफान पर रहेगा मानसून

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगस्त सितंबर में सूर्य गोचर अश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रों में रहेगा। इसलिए इन नक्षत्रों में सूर्य गोचर की अवधि में मानसून चरम पर होगा। कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है। इस समय फिर से मानसून सक्रिय होगा और सावन में मूसलाधार बारिश होगी। यह भारी वर्षा खरीफ फसलों के लिए अच्छा संयोग है।


28 जुलाई तक रहेगी ऐसी स्थिति


ज्योतिषीय गणना बताती है कि अग्नि तत्व के ग्रह मंगल शुष्क राशि सिंह में 28 जुलाई तक रहेंगे तो इसससे गर्मी अधिक पड़ने के साथ-साथ उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में मानसून के पहुंचने में विलंब होने के संकेत है।

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