बालाघाट

एमपी का ये जिला सूखा घोषित, पानी की कमी को लेकर कलेक्टर ने जारी किए निर्देश

water scarcity: मध्य प्रदेश में जल संकट को अप्रैल महीने से पहले ही हाहाकार मचा हुआ है। राज्य के एक जिले को कलेक्टर द्वारा जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया है।

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Mar 31, 2025

water scarcity: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में अप्रैल शुरू होने से पहले ही जलसंकट का जलजला आ गया है। जिले में पानी की किल्लत से हाहाकार मचा हुआ है। खेतों में फसलें सूखने की कगार पर हैं और जल स्रोतों ने जवाब देना शुरू कर दिया है। ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी होती जा रही हैं। अब कलेक्टर ने इस बड़े संकट को देखते हुए सख्त निर्देश भी दिए है।

कलेक्टर का सख्त फरमान

जल संकट को देखते हुए बालाघाट कलेक्टर मृणाल मीणा ने सख्त कदम उठाते हुए 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक पूरे जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया है। अब सार्वजनिक जल स्रोतों से सिंचाई या औद्योगिक कार्यों के लिए बिना अनुमति जल का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। नए ट्यूबवेल खनन पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है। आदेश के अनुसार, पेयजल आपूर्ति के दौरान मोटर पंप से पानी खींचने पर भी पाबंदी रहेगी। नियम तोड़ने वालों को 2 साल की सजा और 2 हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

पानी पर पहरा क्यों?

बालाघाट जिले से वैनगंगा नदी गुजरती है, लेकिन जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। भूजल के अत्यधिक दोहन और नदी-नालों के सूखने से रबी की फसलें पानी के लिए तरस रही हैं। सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि गांवों में भी पीने के पानी की समस्या विकराल होती जा रही है।

जंगल कटाई और रेत खनन का असर

बालाघाट के जंगलों में हो रही अवैध कटाई और नदी-नालों से रेत का अनियंत्रित उत्खनन भी जल संकट का बड़ा कारण है। जिले के आधे से अधिक हिस्से में जंगल है, लेकिन इन जंगलों से अंधाधुंध छेड़छाड़ जल स्रोतों पर भारी पड़ रही है।

रबी की फसल भी बनी सिरदर्द

बालाघाट में रबी फसल का रकबा बढ़ा है, जिसके चलते अत्यधिक सिंचाई की मांग बढ़ गई है। पानी की कमी के कारण किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। यदि जल्द ही जल प्रबंधन पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जिले का यह जल संकट और विकराल हो सकता है।

Published on:
31 Mar 2025 02:58 pm
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