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2026 सेलिब्रेट करने पर्यटन स्थलों की खल रही कमी

नए वर्ष में कहां मनाए पिकनिक- उजाड़ हो गए पिकनिक स्पॉट, शेष बचे स्पॉटों में नहीं पर्याप्त इंतजाम

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नए वर्ष में कहां मनाए पिकनिक-

नए वर्ष में कहां मनाए पिकनिक-

नए वर्ष 2026 को शुरू होने अब 5 दिन ही शेष रह गए हैं। अभी से खासकर युवाओं में सेलिब्रेशन को लेकर खुमार नजर आने लगा है। नए वर्ष पर लोग विभिन्न तरीकों से सेलिब्रेट करने का प्लान भी बना रहे हैं। खास कर युवाओं में पिकनिक और पर्यटन स्थलों की सैर करने के प्रति उत्साह दिखाई दे रहा है। इन खुशियों के बीच पिकनिक स्पॉट की कमियां खल रही हंै। जिले के अधिकांश पिकनिक स्पॉट उजाड़ हो गए हंै। कुछ बचे भी हंै तो उनमें पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हंै।

स्पॉट की खल रही कमी

नए साल के स्वागत में शहर के बॉटनिकल गायडन, बजरंगघाट, गांगुलपारा झरना, डूटी डेम इत्यादि पिकनिक स्पॉट में पिकनिक मनाने वालों की धूम रहती है। इन पर्यटन स्थलों में प्राकृतिक छटाओं के बीच पिकनिक मनाने का आनंद ही कुछ और है। लेकिन असुरक्षा और अव्यवस्थाओं के कारण लोग यहां जाने से कतराते हंै। इन स्थलों में उगी बड़ी-बड़ी झाडिय़ा इनके बीच जहरीले जींव जन्तुओं का खतरा पिकनिक मनाने वालों को रोकता हंै। कारण यहीं है कि हर विशेष मौकों पर लोगों को पिकनिक स्पॉटों की कमी खलती है।

वाटनिकल की दुर्दशा दयनीय

गर्रा फारेस्ट रिर्जव भूमि पर स्थापित बॉटनिकल गायडन के जीर्णोद्वार के लिए लाखों रुपया खर्च करने के बावजूद मनोरंजन के साधन नहीं है। यह उद्यान उजाड़ हो गया है। पहले यहां शेर, चीतल, बहुुमुखी बंदर, मोर सहित अन्य जानवर हुआ करते थे। लेकिन अब कुछ नहीं है। इसके अलावा मरम्मती करण और देखरेख के अभाव में यहां लगाई गई कुर्सिया क्षतिग्रस्त और जानवरों के पिंजरों का कोई उपयोग नहीं होने से वे कबाड़ हो रहे हैं। यहां के कर्मचारियों का कहना वन विभाग इस उद्यान के कायाकल्प को लेकर योजना बना रहा है, लेकिन यह मूर्त रूप कब लेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

पहाड़ी के पत्थर खतरनाक

जिले से समीपस्थ स्थापित गांगुलपारा, डूटी डेम का अस्तित्व भी अब विलुप्त होने की कगार में है। इस पर्यटन स्थल में बहते झरने, कटीली पहाडिय़ां एवं प्राकृतिक सौन्दर्य होने से यहां काफी संख्या में लोग आते थे। वर्तमान में सुरक्षा की दृष्टि से कोई इंतजाम नहीं होने, भयंकर रूप से दिखाई पड़ती पहाडिय़ों को फैंसिंग सहित खतरनाक स्थानों को इंगित कराने वाले सूचना बोर्ड की कमी भी महसूस की जा रही है। यदि यहां कोई चोटिल या दुर्घटना ग्रस्त होता है, कई किमी दूर तक उपचार के कोई साधन भी मुहैया नहीं है।

इसके अलावा हट्टा की बावली जिसमें कभी दो मंजिला तक पानी हुआ करता था, आज एक मंजिल पानी में ही आकर ठहर गई है। इसी तरह लांजी का किला भी सुरक्षा के अभाव में धीरे-धीरे कर जीर्ण-शीर्ण हो रहा है।
वर्जन
नए वर्ष पर पिकनिक मनाने की सोच रहे हैं। लेकिन शहर में एक भी सुविधा युक्त पिकनिक स्पॉट नहीं है। इसलिए नदी किनारे ही पिकनिक मनाकर सेलिब्रेट करना है।
नवीन यादव, स्थानीय युवा

पहले गर्रा वनस्पति उद्यान में जानवरों और अन्य मनोरंजन के साधन हुआ करते थे। हर साल हम वहीं पर पिकनिक मनाने जाते हैं। कई कार्यक्रम में हमनें वहां करवाए हैं। वहां सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
अजय ठाकुर, युवा मोटीवेटर

वन विभाग के पास बाटनिकल के लिए फंड आता है। उन्हें शहर के इकलौते इस उद्यान को पुन: जीर्णोद्वार करने प्रयास किए जाने चाहिए। इससे शासन को राजस्व भी प्राप्त होता है।
राजेन्द्र प्रसाद चौबे, वरिष्ठ नागरिक