बालाघाट

पांचवी के बाद की शिक्षा पाने बच्चों को तय करना पड़ता है खतरों भरा सफर-

बिरसा ब्लाक के मुरकुट्टा गांव में हाईस्कूल की दरकार पांचवीं तक की पढ़ाई गांव के आदिवासी बालक आश्रम में रहकर करते हैं बच्चे दमोह व पाथरी 5 किमी के बीच तीन जर्जर पुलों की समस्या खतरा मोल लेकर गुजरते हैं विद्यार्थी

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Jul 17, 2025
छठवीं से 12 वीं तक की पढ़ाई के लिए दमोह या पाथरी जाने की मजबूरी

पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई बच्चे गांव के आदिवासी बालक आश्रम में पूर्ण कर लिया करते हंै। लेकिन पांचवीं के आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें खतरों भरा सफर तय करना पड़ता है। मामला जिले की आदिवासी बिरसा तहसील के ग्राम मुरकुट्टा से सामने आया है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में वर्षो से हाईस्कूल की दरकार बनी हुई है। गांव में हाईस्कूल नहीं होने से बच्चों को 5 से 7 किलो मीटर दूर दमोह या पाथरी जाना पड़ता है। यहां तक पहुंचने बच्चों को भारी जोखिम का सामना करना पड़ता है।
मार्ग में पडऩे वाले तीन पुलों की हालत काफी जर्जर हो चुकी है। इनमें एक पुल ऐसा भी है, जो दायीं और बायीं तरफ से कट चुका है। मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। ग्रामीणों को 8-9 किमी का वैकल्पिक दलदल नुमा रास्ता अपनाना पड़ता है। कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत कराया जा चुका है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

पढ़ाई के लिए जोखिम की मजबूरी

ग्रामीणों के अनुसार मुरकुट्टा में केवल प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा की सुविधा है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को दमोह या पाथरी भेजा जाता है। तब बच्चे और उनके माता-पिता इन्हीं खतरनाक पुलों और रास्तों से गुजरकर उन्हें स्कूल पहुंचाते हैं। बारिश में कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है कि बच्चों को जंगल और अंधेरे में भटककर रास्ता तलाशना पड़ता है।

हादसे की आशंका

स्थानीय ग्रामीण पार्बती बाई, अकल सिंह, महतो सहित अन्य ने बताया कि यह मार्ग सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक जीवन रेखा है। लोग इसी रास्ते से मजदूरी, राशन, दवा, स्कूल, जनपद और अस्पताल तक पहुंचते हैं। हर दिन किसी न किसी काम से ग्रामीण को दमोह, बिरसा या पाथरी जाना होता है। लेकिन पुल की हालत ऐसी है कि कब हादसा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ग्रामीणों पुलों की मरम्मत या नए पुलो का निर्माण किए जाने की मांग की है।

ग्रामीणों की मांगें

:- लहंगाकनार से मुरकुट्टा तक का मार्ग दुरुस्त किया जाए।
:- तीनों पुलों का पुन: निर्माण हो।
:- वैकल्पिक मार्ग का समतलीकरण व पक्की सडक़ बनाई जाए।
:- समस्या को शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से प्राथमिकता में लिया जाए।

इनका कहना है।
जब तक गांव में कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक अधिकारी नहीं आते। हमने विधायक से लेकर पंचायत तक आवेदन दिए, लेकिन सिर्फ आश्वान ही मिला।
अकल सिंह, ग्रामीण

पुल को देखकर की अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुल कितना जर्जर है। हाईस्कूल न सहीं लेकिन पुल व सडक़ तो बनाई जा सकती है। जब कोई हादसा होगा तक अधिकारी ध्यान देंगे।
लवकुश उके, ग्रामीण

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