स्वथ्य शरीर और प्रकृति से जुड़ाव पर दिया गया बल
बीमार होने या फिर बीमारी होने पर चिकित्सीय उपचार आवश्यक है। वर्तमान की टेक्नालॉजी व हाइटेक दुनिया में लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं और प्रदूषित वातावरण में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से भी जूझ रहे हंै। ऐसे में मप्र के बालाघाट जिले के आइएमए के चिकित्सकों ने प्रकृति से करीबी बनाकर मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त कर प्रकृति बचाने की कवायद बड़ी ही अच्छी पहल है।
ये बातें जिले के केरा गांव में पहली बार आयोजित हुए आइएमए एमपीकान 2025 के आयोजन में शामिल हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप भानूशाली ने कहीं। उन्होंने कहा कि बालाघाट जिला प्राकृतिक व हरा-भरा जिला है, जहां प्रकृति का अनोखा नजारा देखने को मिला है।
उन्होंने पिछड़े वर्ग तक स्वास्थ्य सुविधा सही समय पर उपलब्ध कराने पर जोर देने के साथ ही नारी स्वास्थ्य पर भी जोर दिया। आइएमए के 67 वें वार्षिक अधिकवेशन के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में आइएमए के प्रदेशध्यक्ष डॉ. एमके जैन ने नवनिर्वाचित प्रदेशध्यक्ष डॉ. बीएम शरणागत को आइएमए का पहचान बैच पहनाकर विधिवत तरीके से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद दोनों ने अपनी-अपनी जगह को भी बदलने की परपंरा का निवर्हन किया। इस दौरान प्रदेशध्यक्ष डॉ बीएम शरणागत ने कहा कि ये बालाघाट जैसे छोटे जिले के लिए बड़ी व गर्व की बात है कि आइएमए जैसे बड़े संगठन की प्रदेशस्तर की जिम्मेदारी उन्हें मिली है। उन्होंने कहा कि इस जिम्मेदारी से अधिक कठिन काम था प्रदेश स्तरीय कांफ्रेस का आयोजन करना, क्योंकि यहां कनेक्टिविटी की समस्या है और संसाधन की भी कमी है, लेकिन जो है वह बड़े-बड़े महानगरों में नहीं है, वह हरियाली व प्रदूषण से मुक्त वातावरण जिसके करीब आकर सभी चिकित्सक शुद्ध ऑक्सीजन पाकर अभिभूत हो गए हैं। कार्यक्रम में सभी सदस्य व पदाधिकारी शामिल रहे।