mp news: वन विभाग औषधीय पौधों को लेकर तैयार कर रहा कार्ययोजना, 250 प्रजाति के पौधों की हुई पहचान, 155 का डॉक्यूमेंटेशन तैयार...।
mp news: मध्यप्रदेश के बालाघाट से एक अच्छी खबर है। बालाघाट शहर के रेंजर कॉलेज से लगे बजरंग घाट के जंगल में औषधियों का खजाना मिल रहा है। जंगल में दुर्लभ प्रजाति के पौधे मिले हैं। जिनमें भरपूर मात्रा में औषधि गुण होने की बात विभाग के अधिकारी कह रहे हैं। वन अधिकारियों के अनुसार रेंजर कॉलेज प्राचार्य गौरव चौधरी के नेतृत्व में टीम काम कर रही हैं। इनमें सिवनी जिले के एसडीओ हेमराज का भी विशेष सहयोग मिल रहा है। टीम के प्रयास सतत जारी हैं। अब तक टीम ने करीब 250 प्रजाति के दुर्लभ पौधों की पहचान कर ली है। 155 पौधों का डॉक्यूमेंटेशन भी कर लिया गया है।
वन अधिकारियों की मानें तो वैसे तो जिले के जंगलों में कई तरह के औषधियों के पौधे पाए जाते हैं। लेकिन बजरंग घाट जैसे छोटे क्षेत्र के जंगल में इतनी अधिक प्रजाति के औषधि पौधों का मिलना खुशी की खबर है। इन पौधों की उपलब्धता जिले के नाम को प्रदेश स्तर तक पहचान दिला सकती है। हालांकि विभागीय जानकारों का ये भी कहना है कि इनमें कई पौधे अब खतरे में हैं। इन पौधों में काली मुसली, कालमेघ, और पुटपुटा एक प्रकार का मशरूम शामिल हैं। ये पौधे पारंपरिक रूप से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किए जाते रहे हैं, लेकिन अत्यधिक दोहन और वनों की कटाई के कारण इनकी संख्या कम हो रही है।
बजरंग घाट के जंगलों में मुख्य रूप से मेदा छाल, सर्पगंदा, दहीमन, बीजा छाल, आफिया ग्लासम, मुसली, सलावट जैसे दर्जनों प्रजाति के पौधे मिले हैं। इन्होंने चिन्हित कर सुरक्षित किया गया है। औषधि गुणों से भरपूर इन पौधों से ह्दय रोग, त्वचा रोग, गठिया वाद, लकवा सहित अन्य कई प्रकार की बीमारियों की दवाइयां तैयार की जाती है। वनों पर आश्रित और ग्रामीण अंचल के वैद्यराज जमील अहमद का कहना है कि इन औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार को इन पौधों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह अमूल्य विरासत बनी रहे।