राजस्व महाभियान-३.० के तहत बिरसा, बैहर व मलाजखंड क्षेत्र में नई पहल
बालाघाट. दिन में खेत में काम करने वाले किसान व मजदूरों की सहुलियत के लिए बैहर एसडीएम अर्पित गुप्ता ने जिले में एक नई पहल की। दिन में किसान व मजदूरों (हितग्राहियों) को काम न छोडऩा पड़े इसलिए उन्होंने रात्रिकालीन ४२ शिविर लगवा दिए। शिविर से करीब १० हजार लोग लाभान्वित हुए। कलेक्टर मृणाल मीना ने इसकी प्रशंसा की है। राजस्व महाभियान-३.० के तहत बैहर, बिरसा व मलाजखंड क्षेत्र में वार्डवार रात्रिकालीन शिविर लगवाए गए। शिविर सायं 5.50 बजे से रात्रि नौ बजे तक संचालित हुए। एसडीएम अर्पित गुप्ता स्वयं शिविरों में उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि शिविर आयोजन से पूर्व निकायों को सूचना देने और प्रसार के लिए अलग से व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए। लाऊड स्पीकर की सहायता से नागरिकों को सूचित किया गया। एसडीएम ने एक सवाल के जवाब में बताया कि पहले बिरसा व बैहर के अलग-अलग वार्डों में शिविर लगवाया, जिसमें रूझान दिखा। इसके बाद मलाजखंड में वार्डवार शिविर लगवाए। अब तक कुल ४२ रात्रि कॉलीन शिविर लगाए गए हैं। लोगों को परेशानी न हो इसलिए राजस्व व निकायकर्मियों की चार-चार सदस्यीय टीम बनाई। जिस जगह शिविर लगती थी, वहां के चार-चार घरों से हितग्राहियों (किसान/मजदूर) को टीम बुलाकर लाती थी। उनके काम होने के बाद दूसरे घरों से बुलाया जाता था।
वर्जन - एक प्रदेश के दो से तीन जिलों में रात को काम हुए हैं, लेकिन रात्रिकालीन शिविर कहीं नहीं लगी। इसकी शुुरुआत बैहर एसडीएम ने की है। दिन में किसान व मजदूर कार्य करते हैं। इसलिए एसडीएम ने उनके लिए रात्रिकालीन शिविर लगवाए, जिसका लाभ भी उनको मिला है। यह अच्छी पहल है। - मृणाल मीना, कलेक्टर बालाघाट।
वर्जन - दो मैं एक दिन बैठकर सोच रहा था कि दिन में काम करने वाले मजदूर वर्ग को राजस्व महाभियान-३.० का लाभ कैसे मिले। इस संबंध में तहसीलदार व सीएमओ को बुलाकर बात किया। इसके बाद उनको रात्रिकालीन शिविर के बारे में बताया। शिविर कैसे सफल होगा? यह योजना बताई। इसके बाद इसको मूर्त रूप दिया। इसकी शुरुआत बिरसा व बैहर से की। - अर्पित गुप्ता, एसडीएम (आईएएस) बैहर।
यह काम हुए शिविर में खसरा आधार लिंकिंग, पीएम किसान ईकेवायसी, फॉर्मर रजिस्ट्री व आयुष्मान कार्ड बनाने के कार्य हुए हैं।
यह हुआ फायदा - ६५ हजार से अधिक लक्ष्य वाले जिलों में 70 वर्ष से अधिक आयु के आयुष्मान कार्ड बनाने के मामले में जिला नंबर एक पर है। जनसंख्या के अनुपात से 65 हजार 944 कार्ड बनाने का लक्ष्य मिला। अब तक 42 हजार 366 कार्ड बनाए गए हैं। 64.25 प्रतिशत कार्य के साथ प्रदेश में नंबर पोजिशन है। - इस सूची में ५० प्रतिशत के साथ बैतूल दूसरे नंबर पर है। - 65 हजार से कम लक्ष्य वाले जिलो में सिवनी प्रथम स्थान पर है। वहां पर अब तक 53 प्रतिशत आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं।