Elephants killed villager: साथ गए सहयोगियों व वन अमले ने मना किया कि हाथियों के आस-पास मत जाओ, लेकिन नहीं माना, 8 हाथियों के दल ने कुचलकर मार डाला
राजपुर. रात में गांव के नजदीक पहुंचे 8 हाथियों के दल को एक ग्रामीण अपने सहयोगियों के साथ खदेडऩे गया था। हाथियों का आक्रामक रुख देखकर सहयोगियों व वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे हाथियों की ओर जाने से मना किया, लेकिन शराब के नशे में धुत होने की वजह से वह नहीं माना। इसी बीच हाथियों से उसका सामना हो गया और उन्होंने ग्रामीण को कुचलकर मार (Elephants killed villager) डाला। सूचना पर रविवार की सुबह वन अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को बरामद कर पीएम पश्चात परिजनों को सौंप दिया।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत बासेन सर्किल के ग्राम चिलमा में शनिवार की रात 8 हाथियों का दल पहुंचा था। इसकी जानकारी चिलमा समेत आस-पास के गांवों के लोगों को हो गई थी। इसी बीच ग्राम गहनाडांड़ निवासी पहाड़ी कोरवा 60 वर्षीय चमरा पिता लोया शराब के नशे में हाथियों को खदेडऩे पहुंच गया।
उसके साथ अन्य लोग भी थे। वह जब हाथियों (Elephants killed villager) की ओर जाने लगा तो साथ रहे ग्रामीणों व मौके पर मौजूद वन कर्मचारियों ने उसे मना किया, लेकिन वह नहीं माना। इसी बीच चिलमा नर्सरी कक्ष क्रमांक पी. 2804 में हाथियों ने उसे कुचलकर मार डाला।
हाथियों द्वारा ग्रामीण को कुचलकर मार दिए जाने की सूचना मिलते ही रविवार की सुबह वन विभाग के एसडीओ आरएसएल श्रीवास्तव व रेंजर महाजन साहू अन्य कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने ग्रामीण का शव बरामद कर पीएम के लिए अस्पताल भिजवाया। पीएम पश्चात शव परिजनों को सौंप दिया गया। विभाग की ओर से उसके परिजनों को तात्कालिक सहायता राशि (Elephants killed villager) प्रदान की गई।
बताया जा रहा है कि 8 हाथियों का दल सप्ताहभर से बासेन सर्किल के जंगल में विचरण कर रहा है। वहीं प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से 35 हाथियों का दल 3 दिन पहले ही चाची सर्किल से होते हुए बरियों सर्किल के जंगल में पहुंचा है। फिलहाल राजपुर वन परिक्षेत्र में 43 हाथियों का दल विचरण कर रहा है।
हाथियों के राजपुर वन परिक्षेत्र में विचरण की सूचना मिलते ही डीएफओ के निर्देश पर एसडीओ व रेंजर ने गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने की समझाइश दी गई थी। वहीं मुनादी कराने के अलावा पंपलेट का भी वितरण किया जा रहा है। इसके बावजूद कई ग्रामीण जागरुक नहीं हो पा रहे हैं।