बलरामपुर

हाईकोर्ट की सख्त फटकार: एसपी ने क्या छुपाया? प्रमुख सचिव गृह से भी मांगा जवाब

नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा एक्शन लिया है। मामले में लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाई है। प्रमुख सचिव गृह से भी जवाब तलब किया है।

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एसपी कार्यालय बलरामपुर सोर्स ट्विटर एकाउंट विभाग

नाबालिग से दुष्कर्म मामले में लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बलरामपुर एसपी द्वारा दायर हलफनामे को भ्रामक बताते हुए कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि एसपी ने महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए हैं। मुख्य सचिव गृह से एक सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

नाबालिग से रेप के गंभीर मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बलरामपुर एसपी की कार्यप्रणाली पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। अदालत ने कहा कि एसपी द्वारा दाखिल व्यक्तिगत हलफनामे में अहम जानकारियां जानबूझकर नहीं बताई गईं। जिससे अदालत को गुमराह करने की कोशिश प्रतीत होती है। इस आधार पर कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया असत्य मानते हुए कठोर टिप्पणी दर्ज की। पीठ ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर पूरे घटनाक्रम पर स्पष्ट जवाब पेश करें। साथ ही 15 दिसंबर को अगली सुनवाई के समय कोर्ट में उपस्थित रहने को भी कहा गया है। मामला 22 अक्टूबर 2024 को दर्ज हुए उस केस से जुड़ा है। जिसमें एक किशोरी ने रेप की शिकायत की थी। 28 अक्टूबर को उसका प्रारंभिक बयान BNS की धारा 183 के तहत दर्ज किया गया था। बाद में पीड़िता ने न्यायालय में कहा कि पहला बयान पुलिस और आरोपी के दबाव में दिया गया था। इसी आधार पर POCSO कोर्ट ने 8 जनवरी को उसके फिर से बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति दी थी। 19 मार्च को दिए गए नए बयान में किशोरी ने साफ कहा कि आरोपी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।

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हाईकोर्ट ने जताई गंभीर आपत्ति

राज्य सरकार ने इस दोबारा दर्ज बयान के आदेश को ही हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। बेंच ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए पूछा कि जहां आरोपी को आपत्ति हो सकती है। वहां राज्य को पीड़िता के दोबारा बयान से क्या परेशानी है। कोर्ट ने इसे “असमझनीय” बताया।

क्या है पुलिस का हलफनामा

एसपी के हलफनामे में यह उल्लेख किया गया था कि पीड़िता और उसके पिता के पॉलीग्राफ टेस्ट का आवेदन अभी मजिस्ट्रेट के सामने लंबित है। जबकि पीड़िता की ओर से बताया गया कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह आवेदन 1 दिसंबर को ही खारिज कर दिया था। इस विसंगति पर अदालत ने नाराजगी जताई और कहा कि जब पीड़िता स्वयं कह चुकी है कि पहला बयान दबाव में दिया गया। तो पॉलीग्राफ की आवश्यकता ही नहीं बचती।

उन्हें इसकी जानकारी नहीं है किसके कार्यकाल में हलफनामा दाखिल हुआ

उधर, वर्तमान एसपी विकास कुमार ने कहा कि उन्हें यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह हलफनामा उनके कार्यकाल में दाखिल हुआ या पूर्व एसपी के समय। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की जांच के बाद ही वे कुछ कह पाएंगे।

Published on:
05 Dec 2025 06:49 am
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