राजस्थान में मनरेगा में कार्यरत करीब 7 हजार ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें छह माह से मानदेय नहीं मिला। जानिए क्यों अटका है भुगतान?
राजस्थान में मनरेगा में कार्यरत करीब 7 हजार ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें छह माह से मानदेय नहीं मिला। क्याेंकि नियम में बदलाव के बाद से सॉफ्टवेयर में इनका मानदेय नहीं बन रहा है। इसमें बांसवाड़ा के करीब 250 कार्मिक शामिल हैं। मानदेय नहीं मिलने के बाद कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन के साथ ही ज्ञापन भी दिया था। पर, उच्च स्तर के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
मनरेगा से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर की समस्या है, जो कि दिल्ली से दूर की जाएगी। इसके लिए कई बार पत्र व्यवहार किया जा चुका है। पर, समाधान अभी तक नहीं किया गया। जयपुर या स्थानीय स्तर को साॅफ्टवेयर में किसी भी प्रकार के बदलाव का अधिकार नहीं है।
पूर्व में संविदा कर्मियों को मनेरगा पाेर्टल पर एफटीओ के माध्यम से प्रशासनिक मद से मानदेय का भुगतान किया जाता था। इसके बाद में नियम बदल दिए गए। नए नियम अनुसार मनरेगा पोर्टल के साथ ही एसएनए पोर्टल पर उल्लेख करना है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंतिम समय में राशि जारी की गई। पर, राशि जारी होने के बाद एसएनए पाेर्टल पर तकनीकी समस्या व संविदा कर्मियों के पोर्टल पर बिल प्रदर्शित नहीं होने से मानदेय का भुगतान अटका है।
डाटा एंट्री सहायक राकेश ने बताया कि मानदेय अक्टूबर 2024 के बाद से नहीं मिला है। इस कारण आर्थिक समस्या है। मानदेय कम मिलेगा? इस बारे में भी स्थिति अस्पष्ट है।
वरिष्ठ तकनीकी सहायक-100
एमआईएस मैनेजर-4
लेखा सहायक-30
डाटा एंट्री सहायक-55
ग्राम रोजगार सहायक-50
अन्य-2
जिले में 250 के करीब के साथ प्रदेश में हजारों मनरेगा के कर्मचारी हैं, जिनको छह या इससे अधिक समय हो गया पर मानदेय नहीं मिला। यह अल्प मानदेय वाले हैं, इसलिए जीवन यापन में भी दिक्कत आने लगी है।
मितेंद्र सिंह राठौड़, जिलाध्यक्ष मनरेगा कार्मिक संघ, बांसवाड़ा