Banswara Crime : बांसवाड़ा में घरेलू हिंसा के करीब 15 वर्ष पुराने एक केस में जब पत्नी ने गुजरात हाइकोर्ट में आरोपी की पोल खोली तो हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाई। हाईकोर्ट ने आरोपी को सरेंडर करने का आदेश देने के साथ ट्रायल कोर्ट से कहा कि सरेंडर नहीं करने पर गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए। पूरा मामला होश उड़ा देगा, जानें।
Banswara Crime : बांसवाड़ा में घरेलू हिंसा के करीब 15 वर्ष पुराने एक केस में बांसवाड़ा के घाटोल निवासी आरोपी ने गुजरात के अधीनस्थ न्यायालय में झूठा हलफनामा पेश कर दिया। पीड़िता की ओर से पुलिस जांच के दस्तावेजों के साथ यह पोल खोलने पर गुजरात हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाई। हाईकोर्ट ने आरोपी को सरेंडर करने का आदेश देने के साथ ट्रायल कोर्ट से कहा है कि सरेंडर नहीं करने पर गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए।
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प्रकरण में लंबे समय तक विदेश में रहे और अंतराल में स्वदेश आवाजाही करने वाले घाटोल निवासी आरोपी राजेश पुत्र हीरा लाल पंचाल ने एडीजे कोर्ट हालोल में हलफनामा देकर घोषणा की कि उसके पास पासपोर्ट ही नहीं है। इसके बूते अधीनस्थ कोर्ट से उसे राहत मिल गई। मामले पर पीड़िता नंदिनी पंचाल की ओर से हाइकोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी के झूठ को बेनकाब किया किया। इस पर हाइकोर्ट गुजरात की एकल पीठ के जज दिव्यांग ए जोशी ने मामले को गंभीरता से लेकर अधीनस्थ न्यायालय को कार्रवाई के निर्देश दिए।
मामले में हाईकोर्ट ने तथ्यों पर गौर करते हुए पीड़िता की याचिका को स्वीकार किया और आरोपी राजेश के जमानत बंध निरस्त कर दिए। साथ ही उसे सरेंडर करने का आदेश देते हुए ट्रायल कोर्ट से कहा है कि आरोपी सरेंडर नहीं करने पर हाईकोर्ट के आदेश की प्रति मिलते ही गिरफ्तारी वारंट जारी करे।
मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीड़िता के अधिवक्ता ठक्कर ने हाइकोर्ट को बताया कि आरोपी ने एक नहीं, बल्कि दो पासपोर्ट बनवाए हैं। इनमें एक अभी भी वैध है। बावजूद इसके राजेश ने गुम होने और अवधिपार होना बताते हुए कोर्ट को गुमराह किया और पासपोर्ट सरेंडर नहीं करते हुए झूठा हलफनामा दिया।
प्रकरण में लोहारिया हाल हालोल की नंदिनी को प्रताड़ित कर घाटोल ससुराल से निकाले जाने और बिना तलाक दूसरी शादी रचाने पर उसने पति राजेश के खिलाफ बांसवाड़ा में पुलिस केस दर्ज कराए गए। उनमें अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई तो उसने 2019 में हालोल थाने में एफआईआर दर्ज कराई। मामला कोर्ट में गया तो आरोपी की ओर से जमानत पर रिहाई पाने के लिए गलतबयानी की। ट्रायल कोर्ट में वह सफल हो गया तो पीड़िता ने अपने अधिवक्ता केडी ठक्कर के जरिए हाइकोर्ट की शरण ली।