Cheetah Hunting in Rajasthan: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान पहुंचा ‘ज्वाला’ का शावक बारां जिले के रामगढ़ की पहाड़ियों में तीन दिन से डटा है। झाड़ियों और पहाड़ियों पर दिनभर आराम करता है। ट्रैकिंग टीम लगातार उसके साथ बनी हुई है।
बारां। कूनो नेशनल पार्क से मादा चीता ‘ज्वाला’ का शावक राजस्थान पहुंच गया है। भारत में जन्मा यह चीता शावक राजस्थान की जलवायु और जंगलों में खूब रच-बस रहा है। वह तीन दिनों से किशनगंज के रामगढ़ की पहाड़ियों में आराम कर रहा है। रामगढ़ के पहाड़ी क्षेत्र में उसने अपने से कई गुना भारी नीलगाय का भी शिकार किया।
देश में किसी देशी (भारत में जन्मे) चीते द्वारा इतने बड़े आकार के मवेशी का शिकार करने का यह पहला मामला है। राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन अधिकारी व विशेषज्ञ इसकी लगातार ट्रैकिंग कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार चीता सामान्यतः छोटे और मध्यम आकार के घास के मैदानों में रहने वाले जानवरों का शिकार करता है। वे काला हिरण, चीतल, सांभर के छोटे बच्चे, इम्पाला (बड़ा हिरण), खरगोश तथा कभी-कभी छोटे पक्षियों को भी शिकार बनाते हैं।
श्योपुर के कूनो से राजस्थान के बारां जिले के रामगढ़ क्षेत्र की दूरी करीब 60 किमी है। ‘ज्वाला’ का यह शावक पिछले एक माह से श्योपुर जिले के सामान्य वन मंडल के आवदा क्षेत्र और श्योपुर-बारां बॉर्डर के जंगलों में घूम रहा था। अपनी टेरिटरी की तलाश में वह कई बार इसी क्षेत्र में नजर आया। तीन दिन पहले गुरुवार को उसने पार्वती नदी पार की और राजस्थान के बारां जिले के रामगढ़ जंगल में प्रवेश किया।
जानकारों का कहना है कि चीतों के लिए राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के जंगल उपयुक्त हैं। चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले विशेषज्ञों ने इसी क्षेत्र में संभावनाएं तलाशी थी। इसमें मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व, शेरगढ़ और भैंसरोडगढ़ तक को शामिल किया गया था। करीब 17 हजार वर्ग किमी के प्रस्तावित चीता कॉरिडोर में राजस्थान का लगभग 6500 वर्ग किमी क्षेत्र- कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ के जंगल को महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।
चीता शावक कूनो के बाहर अलग-अलग क्षेत्रों में मूवमेंट कर रहे हैं। यह शावक भी कुछ दिनों से श्योपुर-बारां बॉर्डर के इलाके में था। अभी इसे ट्रेंकुलाइज कर वापस लाने का कोई प्लान नहीं है। -उत्तम कुमार शर्मा, फील्ड डायरेक्टर, चीता प्रोजेक्ट, कूनो