
सरिस्का में 6, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में 12 गांवों की पुनर्वास प्रक्रिया ठप, पत्रिका फोटो
अलवर/कोटा. सरिस्का और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के बाघों को पर्याप्त जगह के लिए गांवों के विस्थापन का इंतजार है। सरिस्का में 6 और मुकुंदरा में 12 गांवों की पुनर्वास प्रक्रिया ठप पड़ी है। सरिस्का टाइगर रिजर्व के गांवों के विस्थापन के लिए न जमीन मिली और न मुआवजा तय किया गया। यहां 13 शावक ऐसे हैं जिनको आगामी छह माह में टेरेटरी बनानी है। ऐसे में यह एरिया खाली नहीं हुआ, तो ये शावक आबादी की ओर रुख करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विस्थापन की प्रक्रिया पर निर्णय नहीं हो पाए। नाथूसर गांव के ही अधिकांश परिवार विस्थापित किए गए थे। सरिस्का में अभी 48 बाघ हैं।
सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) में 29 गांव हैं, जिसमें 11 गांवों को पहले चरण में विस्थापित करने के लिए वर्ष 2008 से 2011 के मध्य सर्वे कराया गया। इनमें से उमरी, पानीढाल, रोट क्याला, भगानी व डाबली विस्थापित हो चुके हैं। बाकी 6 गांव डाबली, हरिपुरा, क्रासका, कांकवाड़ी, सुकोला, और देवरी का विस्थापन अटका हुआ है। इसके लिए जमीन मुहैया करानी थी, लेकिन सरकार ने अभी हरी झंडी नहीं दी। मुआवजे को लेकर भी फैसला नहीं हो पाया है।
सरिस्का और मुकुंदरा जैसे टाइगर रिजर्व आज बाघों की बढ़ती संख्या से नहीं, विस्थापन की अधूरी प्रक्रिया से जूझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का में मार्च 2026 तक विस्थापन पूरा करने का आदेश दिया है। इस दिशा में तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। डॉ. सुधीर गुप्ता, पर्यावरण प्रेमी और संयोजक, हम लोग
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 14 गांव ऐसे हैं, जिन्हें विस्थापित किया जाना है। अब तक खरली बावड़ी और लक्ष्मीपुरा का विस्थापन किया जा चुका है। इसके बाद दामोदरपुरा, नारायणपुरा व घाटी के विस्थापन की प्रक्रिया जा रही है। दामादेरपुरा में कुल 102 परिवारों में से 52 लोगों को विस्थापन के लिए राजी कर दिया है। गिरधरपुरा व कोलीपुरा गांव का नए सिरे से सर्वे किया जा रहा है। मुकुन्दरा हिल्स को 2013 में घोषित किया गया था। बाघ-बाघिन की एक जोड़ी के अलावा, शावक व दो सब एडल्ट बाघिनें टाइगर रिजर्व में हैं।
गांवों के लोगों का कहना है कि पूर्व में वर्ष 2008 में जो सर्वे हुआ था, उन परिवारों में जो लोग कम उम्र के थे, अब वह बड़े हो गए। ऐसे में उन्हें अलग परिवार मानते हुए मुआवजा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मार्च 2026 तक यह प्रक्रिया पूरी करनी है।
Updated on:
27 Oct 2025 09:49 am
Published on:
27 Oct 2025 09:47 am
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