मुकदमों की विवेचना में लापरवाही और टालमटोल अब बर्दाश्त नहीं होगी। पुलिस की छवि और जनता का भरोसा मजबूत करने के लिए एसएसपी अनुराग आर्य ने एक नई पहल शुरू की है। इसका नाम दर्पण है, जिसके तहत वादी और विवेचक को आमने-सामने बैठाकर केस की समीक्षा की जा रही है।
बरेली। मुकदमों की विवेचना में लापरवाही और टालमटोल अब बर्दाश्त नहीं होगी। पुलिस की छवि और जनता का भरोसा मजबूत करने के लिए एसएसपी अनुराग आर्य ने एक नई पहल शुरू की है। इसका नाम दर्पण है, जिसके तहत वादी और विवेचक को आमने-सामने बैठाकर केस की समीक्षा की जा रही है।
इस व्यवस्था में अब वादी को बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सीधे पुलिस कार्यालय में उसकी बात सुनी जाएगी और उसी वक्त विवेचक से जवाब तलब होगा। यही नहीं, जहां ढिलाई मिली, वहां तत्काल कार्रवाई भी शुरू कर दी गई।
शुक्रवार को पुलिस कार्यालय में “दर्पण” पहल के तहत 13 केसों की समीक्षा की गई। आवेदकों और विवेचकों को आमने-सामने बिठाकर सुनवाई हुई।
बाकी मामलों में विवेचना संतोषजनक पाई गई और आगे की कार्रवाई के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए।
एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा कि विवेचना में पारदर्शिता और निष्पक्षता ही “दर्पण” पहल का मकसद है। अगर कोई विवेचक जानबूझकर लापरवाही करेगा तो उसे विभागीय जांच का सामना करना पड़ेगा।“दर्पण” की इस सख्ती से पुलिस तंत्र में जहां पारदर्शिता बढ़ी है, वहीं पीड़ितों को भी राहत की उम्मीद जगी है।