बरेली

IPS पिता ने जिस सिपाही को किया बर्खास्त… वकील बेटी ने केस लड़कर कराया बहाल

यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, यहां एक पिता और बेटी कोर्ट रूम में आमने सामने थे। वकील बेटी अपने क्लाइंट का बचाव कर रही थी तो पूर्व IPS पिता विभाग की ओर से पेश हुए थे।

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Aug 10, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जहां एक रिटायर्ड IPS अधिकारी और उनकी वकील बेटी एक सिपाही की बर्खास्तगी के मामले में आमने-सामने खड़े हुए। IPS पिता ने एक सिपाही को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन बेटी ने कानून की ताकत से उसी सिपाही को नौकरी वापस दिला दी।

मामला जनवरी 2023 का है, जब त्रिवेणी एक्सप्रेस में सफर कर रही एक 17 वर्षीय किशोरी ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही तौफीक अहमद पर छेड़खानी का आरोप लगाया। किशोरी के पिता की शिकायत पर तौफीक के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। साथ ही, पुलिस विभाग ने विभागीय जांच के बाद तौफीक को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

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हालांकि, निचली अदालत ने सबूतों के अभाव और जांच में खामियों के आधार पर तौफीक को बरी कर दिया। इसके बाद तौफीक ने अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ अपील की, लेकिन IG राकेश सिंह ने इसे खारिज कर दिया। हार न मानते हुए, तौफीक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और अपनी कानूनी लड़ाई के लिए वकील अनुरा सिंह को चुना, जिन्हें यह नहीं पता था कि वह बर्खास्तगी का आदेश देने वाले अधिकारी की बेटी हैं।

कोर्ट में पिता-बेटी का मुकाबला

इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह मामला तब रोचक हो गया, जब अनुरा सिंह ने अपने ही पिता, रिटायर्ड IPS राकेश सिंह को विभागीय कार्रवाई का बचाव करने के लिए कोर्ट में बुलाया। अनुरा ने कोर्ट में तर्क दिया कि तौफीक की बर्खास्तगी की विभागीय जांच में कई खामियां थीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस अधीनस्थ रैंक (दंड और अपील) नियम, 1991 का हवाला देते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने न केवल आरोप सिद्ध किए, बल्कि सजा की सिफारिश भी की, जो केवल अनुशासनिक प्राधिकारी का अधिकार है। यह कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था।

दूसरी ओर, राकेश सिंह ने कोर्ट में विभागीय कार्रवाई को उचित ठहराया, यह कहते हुए कि POCSO एक्ट के तहत गंभीर आरोपों के चलते सिपाही की बर्खास्तगी जरूरी थी। लेकिन अनुरा ने जांच में प्रक्रियागत अनियमितताओं और सबूतों की कमी को उजागर कर कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा। जुलाई 2025 में, जस्टिस अजित कुमार ने अनुरा की दलीलों से सहमति जताते हुए विभागीय जांच और बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने बरेली पुलिस को तौफीक अहमद को बहाल करने और तीन महीने के भीतर नई जांच शुरू करने का निर्देश दिया।

बेटी की जीत से भावुक हुए पिता

इस फैसले ने अनुरा सिंह को एक वकील के रूप में शानदार जीत दिलाई, लेकिन राकेश सिंह के लिए यह हार भी गर्व का पल था। उन्होंने कहा, 'मैंने कोर्ट में विभाग का पक्ष रखा, और मेरी बेटी ने अपने मुवक्किल का। उसने अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया, और यह किसी भी पिता के लिए गौरव का क्षण है।' तौफीक अहमद, जिन्हें अपनी नौकरी वापस मिली, ने अनुरा की तारीफ करते हुए कहा, 'मुझे नहीं पता था कि मेरी वकील उस अधिकारी की बेटी हैं, जिन्होंने मुझे बर्खास्त किया था। उन्होंने सत्य को परिवार से ऊपर रखा और मेरी जिंदगी बचा ली।'

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Published on:
10 Aug 2025 04:16 pm
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