बरेली पुलिस ने साफ संदेश दे दिया है कि अब जिले में माफियाओं और गुंडों के लिए कोई जगह नहीं। रंगदारी, मारपीट और खून की धमकियों से शहर को दहलाने वाला मोहम्मद रजा उर्फ लल्ला गद्दी आखिरकार पुलिस के शिकंजे में कस गया है।
बरेली। बरेली पुलिस ने साफ संदेश दे दिया है कि अब जिले में माफियाओं और गुंडों के लिए कोई जगह नहीं। रंगदारी, मारपीट और खून की धमकियों से शहर को दहलाने वाला मोहम्मद रजा उर्फ लल्ला गद्दी आखिरकार पुलिस के शिकंजे में कस गया है। एसएसपी अनुराग आर्य ने उसे जनपद स्तर पर माफिया घोषित कर उसकी हनक हमेशा के लिए तोड़ दी। इस कार्रवाई से अपराधियों के खेमे में हड़कंप मचा हुआ है।
पुराना शहर, बारादरी और आसपास के इलाकों में लल्ला गद्दी का नाम ही लोगों को दहशत में डाल देता था। आरोप है कि अपने गिरोह के साथ मिलकर वह दुकानदारों, ठेकेदारों और आम नागरिकों से खुलेआम रंगदारी वसूलता था। पैसा नहीं मिला तो गालियां, लात-घूंसे और जान से मारने की धमकी यही उसका कारोबार था। हत्या जैसे संगीन अपराधों के बावजूद वह लंबे समय तक कानून को चुनौती देता रहा, लेकिन अब पुलिस ने उसकी पूरी कुंडली सार्वजनिक कर दी है।
चक महमूद निवासी लल्ला गद्दी पर पहले गुंडा एक्ट, फिर हिस्ट्रीशीटर की कार्रवाई हुई और अब उसे माफिया घोषित कर दिया गया है। जांच में सामने आया कि लल्ला गद्दी की नजदीकियां माफिया अशरफ के साले सद्दाम से थीं। प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड से पहले शूटरों की मुलाकात बरेली जेल में बंद अशरफ से कराने में भी उसकी भूमिका उजागर हुई थी। हत्या के बाद हुई जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए, जिसके बाद जेल प्रशासन तक पर कार्रवाई की गाज गिरी। जांच यह भी बताती है कि सद्दाम का पैसा बरेली की जमीनों में निवेश कराने में लल्ला गद्दी ने अहम भूमिका निभाई।
पुलिस ने अशरफ की मदद करने के आरोप में लल्ला गद्दी और उसके कई साथियों को जेल भेजा था। हालांकि कुछ आरोपी रिहा हो चुके हैं, लेकिन लल्ला गद्दी पर शिकंजा लगातार कसता गया। उस पर हत्या, रंगदारी और गैंगस्टर एक्ट सहित करीब दस गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। दो माह पहले गुंडा एक्ट, फिर हिस्ट्रीशीटर और अब माफिया घोषित यह कार्रवाई साफ संकेत है कि बरेली पुलिस अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर है।