उपभोक्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ बीमा दावा प्रस्तुत किया, लेकिन कंपनी ने क्लेम निपटाने में अनावश्यक देरी की। बाद में कंपनी ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए दावा अस्वीकार कर दिया।
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कोर्ट ने माना बीमा कंपनी की लापरवाही
बीमा कंपनी की लापरवाही और समय पर सेवा नहीं देना अब उसके लिए भारी पड़ गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बाड़मेर ने चोलामंडलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया है कि वह बिसारणिया निवासी रूपसिंह जाखड़ को 2,09,188 रुपए का मुआवजा अदा करे। इसके अलावा आयोग ने कंपनी को मानसिक उत्पीड़न व मुकदमे के खर्च के लिए 60 हजार अतिरिक्त देने के निर्देश भी दिए हैं।
दुर्घटना के बाद बीमा क्लेम पर टालमटोल
रूपसिंह जाखड़ ने अपनी कार का बीमा चोलामंडलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी से कराया था। कुछ समय बाद वाहन सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया। उपभोक्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ बीमा दावा प्रस्तुत किया, लेकिन कंपनी ने क्लेम निपटाने में अनावश्यक देरी की। बाद में कंपनी ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए दावा अस्वीकार कर दिया, जिससे जाखड़ को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
आयोग ने कहा- क्लेम में देरी सेवा में कमी
कंपनी के इस रवैये से परेशान होकर जाखड़ ने जिला उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज कराया। दोनों पक्षों की सुनवाई और दस्तावेजों की जांच के बाद आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी ने सेवा में कोताही बरती है।
आयोग ने अपने आदेश में कहा - बीमा कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवहार करना चाहिए। क्लेम प्रक्रिया में देरी करना या अनुचित कारणों से दावा अस्वीकार करना सेवा में कमी की श्रेणी में आता है सभी दस्तावेजों और शपथ पत्रों की जांच के बाद आयोग के अध्यक्ष चंदनाराम चौधरी और सदस्य सरिता पारीक ने यह निर्णय सुनाया। परिवादी की ओर से अधिवक्ता नरपत सिंह चौधरी ने पैरवी की।