
फसलें हुई खराब (फोटो- पत्रिका)
बालोतरा: सिणधरी उपखंड क्षेत्र से गुजरने वाली लूनी नदी में बालोतरा स्थित औद्योगिक इकाइयों से छोड़ा जा रहा प्रदूषित पानी किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। नदी किनारे बोई गई रबी की हजारों बीघा फसल पर प्रदूषित पानी आने से संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
बारिश के मौसम में लूनी नदी में पानी की आवक होने से रबी फसल की बुवाई को लेकर किसान उत्साहित थे। भरपूर पानी आने से नदी से सटे क्षेत्रों के कुओं में भी पानी का रिसाव हुआ, जिसके चलते किसानों ने बुवाई की। लेकिन कुछ ही समय बाद बालोतरा से निकलने वाला प्रदूषित काला पानी सिणधरी होते हुए गादेसरा तक पहुंचा।
इससे किसानों की उम्मीदों पर काला जहर फैलने का खतरा मंडराने लगा है। किसानों ने प्रशासन से लूनी नदी में आ रहे प्रदूषित पानी को रोकने की मांग की है, लेकिन यह पानी लगातार आगे बढ़ रहा है। इसके चलते पूरे गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र में लूनी नदी के आसपास फसल बोने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है।
जानकारी के अनुसार पायला कला, लूणा कला, दरगुड़ा, देराजोनी, साइयों की ढाणी, पायला खुर्द, मोतीसरा, डांगेवा, करेला पाना, ठावों की ढाणी, कादानाड़ी, मंडलावाला, सड़ा धनजी, खुडाला, भटाला, कांगों की ढाणी, अमरपुरा, जालीखेड़ा उंदरी, लोलावा, आमलियाला, टुंकिया, पालरिया धाम और जेतेश्वर धाम सहित अन्य क्षेत्रों में बोई गई फसल को करीब एक महीने हो चुका है।
अब लूनी नदी में पहुंचे प्रदूषित पानी के कारण इन फसलों के खराब होने का खतरा पैदा हो गया है। यदि जहरीले पानी से सिंचाई की गई तो जमीन भी खराब होगी और फसल को भारी नुकसान पहुंचेगा। वहीं, पानी न देने की स्थिति में फसल सूखने की आशंका है।
सिणधरी से गुड़ामालानी तक लूनी नदी के दोनों ओर दो से तीन किलोमीटर के दायरे में किसान सीधे नदी से पानी लेकर खेतों में सिंचाई करते हैं। दो दिन पहले सिणधरी तक पहुंचे प्रदूषित पानी ने समस्या को गंभीर बना दिया है। खासकर जीरा और इसबगोल की फसल में यदि यह पानी दिया गया तो फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है।
लूनी के आसपास रहने वाले सभी किसानों ने नदी का पानी लेकर रबी की फसल बोई थी। अब बालोतरा से प्रदूषित पानी आने से किसानों की मेहनत बेकार हो सकती है। प्रशासन को तुरंत कदम उठाना चाहिए।
-कानाराम किसान
लूनी नदी के साफ पानी से ही किसानों को फसल से लाखों रुपए की आमदनी होती थी। अब यह प्रदूषित पानी किसानों के रोजी-रोटी पर बड़ा संकट बन गया है।
-दमाराम किसान
नदी किनारे हम सभी किसानों के खेतों की फसल आधी पकी है। प्रदूषित पानी अब तराई में देंगे तो जीरा और इसबगोल की फसल पूरी तरह खराब हो जाएगी। यह सभी किसानों की उम्मीदों पर बड़ा झटका है।
-टीकमाराम किसान
प्रशासन से तुरंत कार्रवाई करने और प्रदूषित पानी को रोकने की मांग करते हैं, ताकि किसानों की फसल और रोजी-रोटी बचाई जा सके।
-नारणाराम साईं, भारतीय किसान संघ तहसील प्रसार मंत्री
Published on:
27 Dec 2025 02:13 pm
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