बेतुल

नदी के पार था ससुराल, मायके में पत्नी, बोली- पुल बनेगा तभी लौटूंगी

Unique Story: मध्य प्रदेश के बैतूल में बरसों पहले भीमपुर ब्लॉक के ग्राम झीटूढाना में घर में टॉयलेट न होने से एक महिला ने ससुराल छोड़ दिया था, अब ताप्ती नदी पर पुल नहीं होने से एक बार फिर पति-पत्नी के बीच फासले बढ़ने का मामला सामने आया है, सात महीने से मायके में रह रही पत्नी का कहना है कि ताप्ती पर पुल बन जाएगा तो वह ससुराल लौट आएगी…

2 min read
Nov 06, 2024
बैतूल में बह रही ताप्ती पर नदी पर नहीं बना है पुल, पति ने बताया 7 महीने से मायके में पत्नी, पति की पीड़ा पुल बनेगा तभी लौटेगी पत्नी...

Unique Story of Married Couple: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के ग्रामीण अंचलों में आज भी ऐसे गांव हैं, जहां पहुंचने के लिए नदी नाले पार करके जाना पड़ता है। विकासखंड बैतूल की ग्राम पंचायत सावंगा के ताप्ती नदी किनारे बसे सिहार गांव में अनोखा मामला सामने आया है, जहां पत्नी ने पति का साथ सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि गांव में जाने से पहले उन्हें ताप्ती नदी पार करना पड़ता है।

पुल नहीं होने के कारण नदी में पानी का बहाव तेज होने की स्थिति में चक्कर लगाकर गांव पहुंचना पड़ता है। राशन के लिए भी बरसात में गांव का संपर्क दूसरे गावों से कट जाता है। ऐसे में उन्हें कई परेशानी होती है।

डेढ़ साल पहले हुई थी शादी, सात महीने से पत्नी मायके में

बैतूल जिले के सिहार गांव निवासी अनिल पाड़लीवार ने बताया कि उसकी पत्नी सुमित्रा बीजादेही (शाहपुर) की निवासी है। पत्नी ने सिर्फ इसलिए साथ छोड़ दिया कि ताप्ती नदी पर पुल नहीं है। इसके पहले भी वह अकारण चली गई, लेकिन अब उसने बताया कि जिस दिन ताप्ती नदी पर पुल बन जाएगा मैं खुद ही ससुराल सिहार चली आऊंगी।

सुमित्रा सात महीने से अपने मायके में रह रही है। डेढ़ साल पहले ही उसका विवाह अनिल से हुआ था। अभी उनकी कोई संतान नहीं है।

बता दें कि मध्य प्रदेश में मूलभूत सुविधाएं ना होने के चलते पति का घर छोड़ने का ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी भीमपुर ब्लॉक के ग्राम झीटूढाना में घर में टॉयलेट न होने के कारण एक महिला ने ससुराल छोड़ दिया था।

चार महीने गांव का संपर्क टूट जाता है

ग्राम के मंगल परमार बताते हैं बरसात में पूरे चार माह परेशानी होती है। उन्हें अगर राशन लेना है तो पहाड़ी से दो किलोमीटर चढऩे के बाद जंगल के रास्ते से दस किलोमीटर दूर सावंगा जाना पड़ता है।

बरसात में किसी महिला को प्रसव के लिए बैतूल या सेहरा स्वस्थ केंद्र ले जाना हो तो जननी एक्सप्रेस पहाड़ी के दूसरी तरफ खड़ी रहती है और गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर पहाड़ी चढऩा होता है फिर दस किलोमीटर दूर सेहरा नहीं तो जिला मुख्यालय बैतूल जो कि इस गांव से लगभग पच्चीस किलोमीटर दूर है ले जाना पड़ता है।

इसके कारण कई बार प्रसूता महिलाओं ने रास्ते में दम तोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है अगर ताप्ती नदी पर पुल बन जाता है तो बैतूल और इस गांव की दूरी पंद्रह किलोमीटर होगी जो आसान और सुविधाजनक होगी।


Updated on:
06 Nov 2024 09:36 am
Published on:
06 Nov 2024 09:22 am
Also Read
View All

अगली खबर