कड़ी प्रतिस्पर्धाः नीट यूजी की बढ़ी सीटें, पीजी की काफी कम
नई दिल्ली/जयपुर. सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन अब एमबीबीएस करने के बाद जूनियर डॉक्टरों को नौकरी के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालाें में सम्मानजनक व लाभकारी नियुक्ति पाने के िए कड़ी स्पर्धा हो गई है तो निजी अस्पतालों में वेतन काफी कम है। यह स्थिति सिर्फ कश्मीर के अनंतनाग और राजस्थान के अलवर या भरतपुर तक सीमित नहीं हैं। यूपी, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित लगभग पूरे देश में इस तरह के ट्रेंड सामने आ रहे हैं। पत्रिका ने इसकी पड़ताल की तो बेहद प्रतिष्ठित कहे जाने वाले मेडिकल प्रोफेशन में जो हालात सामने आए, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि कम से कम जूनियर डॉक्टरों के लिए तो यह पेशा चमक खोता जा रहा है। चिकित्सा शिक्षा के जानकारों के अनुसार, दो दशक पहले तक देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में जूनियर रेजिडेंट बनने के लिए प्रतियोगिता होती थी। अब यही प्रतियोगिता छोटे-छोटे जिलों के मेडिकल कॉलेजों में भी नजर आने लगी है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की केंद्र सरकार की योजना के कारण बीते एक दशक में देश में एमबीबीएस की सीटें 2.43 गुना बढ़ी हैं लेकिन लोगों में स्वास्थ्य जागरुकता के विशेषज्ञ चिकित्सकों (पीजी डिग्री वाले) की मांग ज्यादा है। डॉक्टरों के लिए बेहतर कॅरियर विकल्प पीजी करने पर ही उपलब्ध हैं।