
तमिलनाडु के जस्टिस स्वामीनाथन। (फोटो: X Handle/Ravikumar Stephen J.)
Justice Swaminathan Impeachment: अभी देश में बंगाल के मुर्शिदाबाद और तेलंगाना के ग्रेटर हैदराबाद में बाबरी मस्जिद मस्जिद के शिलान्यास व इसके बनाने के ऐलान और इसके जवाब में गीता पाठ करने का मुद्दा गर्माया ही था कि अब एक और राज्य से संबंधित ऐसा ही एक मामला गर्मा गया है। तमिलनाडु की राजनीति और धर्म के मुद्दों के बीच जस्टिस स्वामीनाथन का नाम मंदिर और दरगाह मामले में सुर्खियों में आ गया है। उनके खिलाफ महाभियोग (Impeachment) की कार्रवाई की जा रही है। इस विवाद का मुख्य कारण एक हालिया आदेश है, जिसमें उन्होंने मदुरै जिले के थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर में पारंपरिक कार्तिगई दीपम ( Karthigai Deepam) जलाने का निर्देश दिया। इस आदेश को लेकर राजनीति और धार्मिक समुदायों के बीच भारी विवाद उठ खड़ा हुआ है। विपक्षी दल डीएमके (DMK) ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग (Justice Swaminathan Impeachment) लाने की मांग की है।
थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जहां हर साल कार्तिगई दीपम जलाने की परंपरा है। लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब जस्टिस स्वामीनाथन ने इस मंदिर में दीप जलाने का आदेश दिया, जो एक मुस्लिम धार्मिक स्थल (दरगाह) के नजदीक स्थित है। जस्टिस स्वामीनाथन का यह आदेश एक गंभीर मुद्दा बन गया, क्योंकि इसे मुस्लिम समुदाय की ओर से इसे अपनी धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन समझा गया।
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इस आदेश से धार्मिक सदभाव बिगड़ सकता है, क्योंकि उनका मानना है कि यह एक हिन्दू धार्मिक परंपरा को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थल के निकट लागू करने की कोशिश है। वहीं, हिन्दू संगठनों का कहना है कि यह उनका पुराना अधिकार है और वे अपनी परंपराओं को निभाने का हक रखते हैं। इस तनातनी के कारण पैदा हुए विवाद ने अब राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है, और डीएमके ने इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है।
डीएमके और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि जस्टिस स्वामीनाथन का आदेश सांप्रदायिक एकता को नुकसान पहुंचा सकता है। उनके अनुसार, इस फैसले से मंदिर और दरगाह के बीच एक नया विवाद खड़ा हो सकता है, जो राज्य की धार्मिक एकता को खतरे में डाल सकता है। डीएमके ने आरोप लगाया कि यह आदेश पूरी तरह से एकतरफा और पक्षपाती है।
इसलिए,डीएमके ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। पार्टी का कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और उनके आदेश से राज्य की शांति और सौहार्द्र को खतरा है। महाअभियोग की प्रक्रिया के लिए डीएमके ने विधानसभा में अपने सांसदों को इस मामले में समर्थन देने का निर्देश दिया है।
नियमानुसार महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया भारतीय संविधान में उन न्यायाधीशों के खिलाफ अपनाई जाती है, जिन पर गंभीर आरोप होते हैं। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत से फैसले लिए जाते हैं। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए एक विशेष प्रस्ताव पास करना पड़ता है, और इसके बाद उच्चतम न्यायालय में जांच होती है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो यह मामला डीएमके के लिए एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभराहै। डीएमके और उसके सहयोगी दलों का कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन का यह आदेश राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को नष्ट करने का प्रयास है। वहीं, सत्ता पक्ष इसे किसी तरह की राजनीति से प्रेरित आरोप मानता है।
यह मामला अब उच्चतम न्यायालय की तरफ बढ़ सकता है, और इसके परिणाम तमिलनाडु की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। यदि महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होती है, तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। वहीं, अगर यह मामला राजनीतिक विवाद में उलझता है, तो राज्य में धार्मिक असहमति और बढ़ सकती है।
बहरहाल, तमिलनाडु में जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश ने एक गंभीर धार्मिक और राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। डीएमके की ओर से महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने से राज्य की राजनीति और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। इस मुद्दे का राज्य के सामाजिक और धार्मिक वातावरण पर असर पड़ेगा, और इसके बाद आने वाले दिन तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
Published on:
08 Dec 2025 07:55 pm
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