भरतपुर

Roof Collapsed: अब राजस्थान में यहां भरभराकर गिरी सरकारी स्कूल भवन की छत, झालावाड़ जैसे हादसे के बाद भी नहीं चेता प्रशासन

Rajasthan News: ग्रामीणों ने बताया कि यह स्कूल पूर्व में समीपवर्ती उच्च माध्यमिक विद्यालय में समायोजित किया जा चुका है, लेकिन जर्जर भवन का उपयोग अब भी आंगनबाड़ी केंद्र के लिए किया जा रहा है, जिससे बच्चों की जान रोजाना जोखिम में रहती है।

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Aug 04, 2025
फोटो: पत्रिका

Government School Roof Collapsed In Bayana: बयाना उपखंड क्षेत्र के गांव मदनपुर में रविवार को एक बड़ा हादसा टल गया, जब सरकारी प्राथमिक विद्यालय के खस्ताहाल भवन की छत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। जिसमें आज भी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है। गनीमत रही कि रविवार का अवकाश था, वरना दर्जनों मासूमों की जान खतरे में पड़ सकती थी। यह घटना प्रशासन और शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता का जीता-जागता प्रमाण है।

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घटना से मची अफरा-तफरी, ग्रामीणों में उबाल

सूचना मिलते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे। मलबे के ढेर और बिखरे ईंट-पत्थर देख लोगों की रूह कांप उठी। ग्रामीणों ने बताया कि यह स्कूल पूर्व में समीपवर्ती उच्च माध्यमिक विद्यालय में समायोजित किया जा चुका है, लेकिन जर्जर भवन का उपयोग अब भी आंगनबाड़ी केंद्र के लिए किया जा रहा है, जिससे बच्चों की जान रोजाना जोखिम में रहती है।

पूर्व चेतावनियों को किया नजरअंदाज़: ग्रामीणों का आरोप है कि भवन को वर्षों पहले नाकारा घोषित कर दिया गया था और इसकी खस्ता हालत के बारे में शिक्षा विभाग और प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, परंतु न तो मरम्मत हुई, न ही भवन खाली कराया गया। अब जब छत गिर चुकी है, फिर भी जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय नहीं की गई है। झालावाड़ हादसे में बच्चों की मौत के बावजूद प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। मदनपुर की घटना साफ इशारा करती है कि सरकारी तंत्र हादसे होने के बाद ही हरकत में आता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर रविवार न होता, तो आज गांव में बड़ा हादसा हो सकता था।

समाधान चाहिए

गांव में पशुपालन अस्पताल खोलने की योजना को देखते हुए ग्रामीणों ने मांग की है कि इस खतरनाक भवन को गिराकर पशु चिकित्सालय की नई बिल्डिंग बनाई जाए। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र को तुरंत सुरक्षित भवन में शिफ्ट किया जाए। ग्रामीणों ने दो टूक कहा है कि अब आश्वासन नहीं, जिम्मेदारी तय हो और ठोस कार्रवाई हो। जर्जर भवनों की तुरंत सूची बनाकर प्राथमिकता से मरम्मत या ध्वस्तीकरण किया जाए, ताकि मासूमों की जान को खतरे में डालने वाली इस लापरवाही का अंत हो।

जमीन में पड़ी छत की टूटी पट्टियां एवं बिखरा मलबा (फोटो: पत्रिका)

स्कूल के जिस हिस्से में पट्टियां टूटी हैं, उसे काम में नहीं लिया जाकर, दूसरे सुरक्षित हिस्से में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित किया जा रहा है। आज की घटना को देखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बरसात के मौसम में एहतियातन बच्चों को नहीं बुलाने के निर्देश दिए हैं।

-जितेन्द्र जिन्दल, सीडीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग बयाना

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Updated on:
04 Aug 2025 10:02 am
Published on:
04 Aug 2025 10:00 am
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