Fake Medicines : राजस्थान में इंसान के साथ अब मवेशियों की जान भी खतरे में हैं। यहां इंसानों के साथ मवेशियों की भी नकली दवाइयों का कारोबार पनप गया है। पढ़ें पूरी खबर।
Fake Medicines : राजस्थान में इंसान के साथ अब मवेशियों की जान भी खतरे में हैं। यहां इंसानों के साथ मवेशियों की भी नकली दवाइयों का कारोबार पनप गया है। अधिकतर नकली दवाइयां उत्तरप्रदेश से यहां भेजी जा रही है। खास बात यह है कि जान जोखिम में डालने वाली इन दवाइयों को बॉर्डर के जिलों से दूर खपाया जा रहा है। उत्तरप्रदेश में हुई कई कार्रवाइयों में इसका खुलासा हो चुका है, लेकिन जिम्मेदार नकली और अमानक दवाइयों के कारोबार पर रोक नहीं लगा सके हैं।
पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के आगरा, मथुरा और कोसीकलां के अलावा अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर नकली दवाइयों के निर्माण की बात पिछले दो साल से सामने आ रही है। दो साल में वहां करीब 320 करोड़ से अधिक की नकली दवाइयां पकड़ी गई। बरामद नकली दवाइयों में कैंसर, डायबिटीज, स्लीपिंग पिल्स, एंटीबायोटिक, एलर्जी जैसी अन्य बीमारियों की महंगी नकली दवाइयां शामिल हैं। हर कार्रवाई के बाद ड्रग माफिया से राजस्थान में दवाइयों की खेप सप्लाई करने की बात उजागर हुई है। लेकिन यह सप्लाई रुक नहीं पा रही है।
जिन दवाओं में सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावकारिता के मानक पूरे नहीं होते, उन्हें नकली दवाएं कहते हैं। ये दवाएं असली दवाइयों के रूप में पेश की जाती हैं। नकली दवाएं लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।
केस 01
17 मार्च 2021 को उत्तरप्रदेश के आगरा के गोविंदनगर क्षेत्र में 11 करोड़ रुपए की नकली दवाइयां बरामद की थी। गिरोह ने कंप्यूटर और लैपटॉप का डेटा डिलीट कर दिया था। गिरफ्तार आरोपियों ने राजस्थान में भी नकली दवाइयों की तस्करी की बात को स्वीकार किया था।
केस 02
22 अक्टूबर 2024 को एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में नकली दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी थी। यहां बरामद दवाइयों की कीमत करीब आठ करोड़ रुपए आंकी गई। आरोपियों ने राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में नकली दवाइयों की खेप भेजना कबूला।
केस 03
आगरा में नकली दवाओं के बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ। आठ फर्मों की करीब 71 करोड़ रुपये की दवाइयां सीज की थी। यह कारोबारी पिछले दो साल में 300 करोड़ से अधिक की नकली दवाइयां 10 राज्यों में बेच चुके थे। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान में नकली, नारकोटिक्स श्रेणी, री-पैकिंग समेत अन्य के मामले पकड़े हैं।
भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचेम) की एक अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में 25 फीसदी दवाएं नकली या घटिया हैं और भारतीय बाजार में इनका कारोबार 352 करोड़ रुपये का है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का दावा है कि दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार 200 बिलियन डॉलर का है।
नकली दवाओं की पहचान करने के लिए दवा की पैकेजिंग, रंग, आकार, बनावट, कीमत, और लेबल की जांच करें। अगर कोई दवा बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर मिल रही है, तो संभव है कि वह नकली हो।
छह वर्ष पहले राजस्थान में हार्ट डिजीज में काम आने वाली 6 दवाओं के नमूने फेल हुए थे। बाद में विभाग ने प्रदेश के भरतपुर, कोटा समेत आठ जिलों में 80 दवाओं के नमूने लिए थे।
हर महीने लक्ष्य के आधार पर मेडिकल स्टोर्स और उनके रिकॉर्ड की जांच की जाती है। हमारे यहां नकली दवाइयों का कोई मामला अभी सामने नहीं आया है। आगरा में पकड़ी गई नकली दवाओं के मामले में अभी कोई इनपुट नहीं आया है। अगर ऐसा कोई मामला राजस्थान से जुड़ता है तो हम जांच कर कार्रवाई करेंगे।
चेतन प्रकाश पंवार, सहायक औषधि नियंत्रक