अब सवाल उठ रहा है कि आखिर और कितने लोग संयंत्र के में इस तरह से बिना गेटपास के रह रहे हैं। विजय जांगडे, अध्यक्ष, सीटू का कहना है कि यूनियन ने 60 साल से अधिक उम्र के कर्मियों के संयंत्र में प्रवेश नहीं करने सीएलसी में परिवाद दायर किया है। प्लांट प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है।
भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने संयंत्र की हिफाजत के लिए सीआईएसएफ के जवानों के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरा प्लांट के भीतर और हर गेट पर लगा रखा है। इसके बाद भी प्लांट की सुरक्षित नहीं है। प्लांट के सुरक्षा में सेंध लग रही है। दो दिन पहले संयंत्र के भीतर एक व्यक्ति की लाश मिली। पुलिस ने इसे पहले अज्ञात शव के तौर पर कार्रवाई शुरू की। इसके बाद परिजनों से शिनाख्त हो सकी। मृतक का नाम चंद्रशेखर बताया जा रहा है। इसके पास न तो प्लांट का काई गेटपास मिला और न किसी ठेकेदार ने इसे अपना कर्मचारी बताया है। इससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं, कि आखिर कोई बिना गेटपास के भीतर आ कैसे सकता है, अगर आ गया, तो उसे सीआईएसएफ ने पकड़ा कैसे नहीं है। इसे सीआईएसएफ का पूरी तरह से विफलता के तौर पर देखा जा रहा है।
केंद्रीय मानव अधिकार संगठन, नई दिल्ली आरएस नायडू ने बताया कि बीएसपी कर्मी लक्ष्मी ने मृतक चंद्रशेखर को भिलाई स्टील प्लांट की कैंटीन में काम करते देखा है। मौत होने के बाद हाथ झाडऩे का काम किया जा रहा है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के भीतर जाने से पहले हर किसी को गेट से गुजरना होता है। गेट में सीसीटीवी कैमरा लगा है। यहां बिना गेटपास के भीतर कोई न जाए, इसके लिए गेट पर सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती की जाती है। इसके बाद भी वह अज्ञात व्यक्ति प्लांट के भीतर पहुंच गया।
बीएसपी के भीतर में रात को गश्त करने का काम सीआईएसएफ के क्राइम ब्रांच की टीम करती है। वे प्लांट के हर रेस्ट रूम, कैंटीन में जाकर जांच करते हैं। अगर कोई मिल जाता है, तो उसके गेटपास की जांच करते हैं। ऐसे में बिना गेटपास के पकड़े जाने वाला चोर ही कहलाता है। सीआईएसएफ की नजर प्लांट में लंबे वक्त से बिना गेटपास के रह रहे उक्त व्यक्ति पर कैसे नहीं पड़ी।
बीएसपी के भीतर और गेट पर करीब 620 से अधिक कैमरे 24 घंटे प्लांट की निगरानी कर रहे हैं। इसमें से भिलाई इस्पात संयंत्र में 130 सीसीटीवी कैमरे प्रमुख गेट के साथ-साथ संयंत्र के भीतर में लगाए गए हैं। इसके बाद भी एक व्यक्ति प्लांट के भीतर आराम से रह रहा था। बीएसपी प्रबंधन प्लांट की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विष्वकर्मा पूजा पर भी आम लोगों को प्लांट के भीतर प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता। माओवादी गतिविधियों के नाम से इसे बंद किया गया था।
बीएसपी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पहले ही सीआईएसएफ के 700 जवानों की तैनाती अलग-अलग पाली में रहती है। यहां सीआईएसएफ की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है, कि आखिर किस तरह से कोई बिना गेटपास के भीतर जा सकता है। गेट से जाने वाले नियमित कर्मियों के साथ तो सीआईएसएफ के जवान उलझते रहते हैं। वहीं बिना गेटपास वाला आराम से भीतर में बसेरा बना रहा है।
बताया जा रहा है कि मृतक को प्लांट में लोग लंबे वक्त से देख रहे थे। आखिर प्लांट के भीतर उसे खाना कौन खिला रहा था। बिना काम किए हर दिन खाना दे रहे थे या काम करवाया जा रहा था। अब मौत हो जाने के बाद हाथ छाड़ रहे हैं।