Case Filed: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनजेसीएस में सुधार के लिए तीन माह का समय दिया था। यह समय बीत गया है। इस्पात मंत्रालय ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।
Case Filed: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनजेसीएस में सुधार के लिए तीन माह का समय दिया था। यह समय बीत गया है। इस्पात मंत्रालय ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। इसको देखते हुए बीएकेएस ने फिर एक बार दिल्ली उच्च न्यायालय में केस दायर किया है। इस पर कोर्ट ने 14 मई को सुनवाई किया। कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
अगली सुनवाई 29 मई को निर्धारित की गई है। बताया गया है कि एनजेसीएस में 25 यूनियन प्रतिनिधि में से 15 प्रतिनिधि नामांकित है। पांच ट्रेड यूनियनों को 3-3 नॉमिनेटेड सीट का कोटा दिया गया है। जिस पर यूनियन अपना-अपना सदस्य नामांकित करते है।
इंटक से जी संजीवा रेड्डी, सत्यजीत रेड्डी, डीएस पाणिक्कर, वंशबहादुर सिंह हैं। एटक से विद्यासागर गिरी, रमेंद्र कुमार, रामाश्रय सिंह, डी आदिनारायण हैं। एचएमएस से संजय एस बढ़वाकर, राजेंद्र सिंह, सुकांता रक्षित, शसाधर नायक हैं। सीटू से तपन सेन, ललितमोहन मिश्रा, विष्णु मोहंती हैं। बीएमएस से डीके पांडेय, रंजय कुमार, एम जगदिश्वर राव हैं।
यूनियन का तर्क है कि सेल की प्रत्येक इस्पात प्रोडक्शन यूनिट से रिकॉगनाईज्ड ट्रेड यूनियन का प्रावधान किया गया है। सेल कर्मियों के वास्तविक प्रतिनिधि एनजेसीएस में मौजूद है, तो नॉमिनेटेड प्रतिनिधियों की कोई भी जरूरत नहीं है।
श्रम मंत्रालय व डीपीई के दिए गए गाइड लाइन के मुताबिक अलग-अलग कमेटियों के माध्यम से श्रमिकों को प्रबंधन में भागिदारी दी जानी है। वहीं एनजेसीएस में श्रमिक प्रतिनिधि के नाम पर बाहरी व गैर निर्वाचित नेता प्रबंधन में भागिदार बन रहे हैं।
आज तक सेल स्तर पर सदस्यता सत्यापन नहीं हुआ है कि किस ट्रेड यूनियन के पास कितने सदस्य है।
भिलाई, सेलम तथा राउरकेला चुनाव में एटक व एचएमएस को 100 से कम वोट मिलता है फिर भी इन यूनियनों को तीन-तीन नॉमिनेटेड सीट दिया है।