भिलाई

क्या ऐसे बनेगा शिक्षित समाज? 17 कॉलेजों को नहीं मिली अब तक मान्यता, सीटें भी कम…

CG College News: भिलाई जिले में फर्जी कागजात और झूठे इंफ्रास्ट्रक्चर के बूते मान्यता लेने वाले दुर्ग जिले के बीएड कॉलेजों पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन ( एनसीटीई) अपना रुख कड़ा कर रहा है।

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Jul 28, 2025
क्या ऐसे बनेगा शिक्षित समाज? 17 कॉलेजों(photo-patrika)

CG College News: छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में फर्जी कागजात और झूठे इंफ्रास्ट्रक्चर के बूते मान्यता लेने वाले दुर्ग जिले के बीएड कॉलेजों पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन ( एनसीटीई) अपना रुख कड़ा कर रहा है। अगस्त की शुरुआत में प्रदेश में बीएड की काउंसलिंग शुरू होने वालीे है, लेकिन दुर्ग जिले के 35 में से 18 बीएड कॉलेजों को छोड़कर शेष 17 कॉलेजों को मान्यता अब तक भी नहीं दी गई है।

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CG College News: क्यों कदम नहीं उठाता विवि…?

इन सभी कॉलेजों को एनसीईटी ने नोटिस भेजकर कॉलेज संचालन के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स रेश्यो, स्टॉफ जैसे एक दर्जन बिंदुओं पर जानकारियां मांगी थी, जिसको बाद में एनसीटीई इनको परखने वाला था। इससे कॉलेजों का झूठ सामने आ जाता, इसलिए अधिकतर कॉलेजों ने रिपोर्ट (पीएआर) भेजी ही नहीं। लिहाजा, इन तमाम बीएड कॉलेजों की मान्यता एनसीटीई ने अटका दी है।

कुछ कॉलेजों ने रिपोर्ट में जो फैक्ट दिए है, वह कॉलेज संचालन के लिए जरूरी सेटअप से कमतर है, इसलिए भी समय पर मान्यता नहीं मिल पाई। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को सिर्फ 18 कॉलेजों को संबद्धता देने का पत्र जारी किया है। अन्य कॉलेजों पर फिलहाल मान्यता नहीं है, इसलिए विवि द्वारा उनके नाम भी काउंसलिंग के लिए नहीं भेजे गए।

कल्याण कॉलेज में घटी 200 सीटें

इस साल की काउंसलिंग में दुर्ग जिले में दो सौ सीटें घटेंगी। कल्याण महाविद्यालय में पहले 6 यूनिट हुआ करती थी, जिसमें से अब सिर्फ 2 यूनिट रहेंगी। इसमें सिर्फ सौ सीटों पर प्रवेश होंगे। इसके अलावा दो सौ सीट यानी 4 यूनिट को बंद कर दिया गया है।

कल्याण महाविद्यालय ने स्वयं एनसीटीई को समक्ष प्रस्ताव रखा कि, कम शिक्षकों की वजह से 6 यूनिट के विद्यार्थियों के लिए शिक्षण व्यवस्था बनाने में दिक्कत आएगी। इसके अलावा एक अन्य बीएड कॉलेज में भी सीट संख्या घटने की संभावना है। कॉलेज अपने स्तर पर एनसीटीई की मान-मनौव्वल में लगा हुआ है।

बीएड कॉलेज चार कमरों में संचालित हो रहे हैं, ना इंफ्रास्ट्रक्चर है ना टीचर्स, ना ही कोई छात्र फिर भी इनको मान्यता मिल रही। आप संबद्धता क्यों दे रहे?

जवाब - विश्वविद्यालय के निरीक्षण के समय ये सभी कॉलेज व्यवस्था में सुधार करने का वादा करते हैं, इसलिए सशर्त संबद्धता दे दी जाती है। हमने इसे दुरुस्त करने तैयारी कर ली है।

बीएड कॉलेजों में छात्रों की हाजिरी से लेकर टीचर्स के वेतन सरीखी कई तरह की कमियां है। विश्वविद्यालय अपने स्तर पर कोई कदम क्यों नहीं उठाता?

जवाब - हम कुछ दिनों में सभी कॉलेजों से बीएड कॉलेज संचालन के लिए जरूरी सभी तथ्यों की जानकारियां मांग रहे हैं। एक टीम गठित कर रहे हैं, जो दी गई जानकारी का मिलान करेगी। सरप्राइज चेकिंग होगी। कमियां मिली तो कार्रवाई भी करेंगे।

गाइडलाइन के बाहर सशर्त दे रहे हैं मान्यता

खुद हेमचंद यादव विश्वविद्यालय भी मान रहा है कि, बीएड कॉलेज तय मानकों के हिसाब से संचालित नहीं हो रहे हैं। अब सवाल यह है कि, हर बार इनको संबद्धता कैसे दी जाती है। मतलब साफ है कि संबद्धता सशर्त दी जाती है। कमियां दूर करने की शपथ जो पिछले एक दशक से ज्यों की त्यों है, जिसे कॉलेजों ने कभी सही नहीं किया, लेकिन हेमचंद विश्वविद्यालय हर साल इनकी संबद्धता बहाली करता चला गया।

विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद सिर्फ एक बार इन कॉलेजों का औचक निरीक्षण किया गया था, जहां हर बीएड कॉलेज की असलीयत सामने आ गई थी। हेमचंद विश्वविद्यालय ने दो बीएड कॉलेजों की संबद्धता तक रद्द कर दी थी। इसके बाद विवि फिर कभी नहीं जागा। एक अफसर ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया, यह सिस्टम पूरी तरह से एजुकेशन माफिया की तरह काम करता है। जब विवि कार्रवाई करने का प्रयास करता है, तो वैसे नेता, और अफसरों के फोन घनघनाने लगते हैं।

दुर्ग जिले में 6 बीएड कॉलेज ऐसे हैं, जिनका इंफ्रास्ट्रक्चर एनसीटीई के नियम के आसपास भी नहीं है। बावजूद इनको जुगाड़ से मान्यता मिल रही है, जबकि हेमचंद विश्वविद्यालय भी संबद्धता दे रहा है। एनसीटीई के नियम से दो यूनिट के लिए 16 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि इन कॉलेजों में 100 बीएड छात्रों के लिए 6 शिक्षक भी नहीं है। कायदे से, शहर में कॉलेज संचालन के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन जरूरी होती है, लेकिन अधिकतर कॉलेजों के पास इसका एक चौथाई भी नहीं है। कुछ कॉलेज एक ही कैंपस में नर्सिंग, साइंस और बीएड सबकुछ एक साथ चला रहा है।

Updated on:
28 Jul 2025 10:57 am
Published on:
28 Jul 2025 10:56 am
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