Bhilai News: जिला मुख्यालय से लगा ढाई हजार आबादी वाला छोटा सा गांव थनौद…, लेकिन यहां की मिट्टी और सधे हुए हाथों का कमाल ऐसा कि यहां की कलाकारी की धमक छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के छह राज्यों तक पहुंच चुकी है।
CG News: जिला मुख्यालय से लगा ढाई हजार आबादी वाला छोटा सा गांव थनौद…, लेकिन यहां की मिट्टी और सधे हुए हाथों का कमाल ऐसा कि यहां की कलाकारी की धमक छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के छह राज्यों तक पहुंच चुकी है। यहां का चक्रधारी परिवार पांच पीढ़ियों से मिट्टी से भगवान गणेश और मां दुर्गा की मूर्तियां गढ़ रहा है।
इन परिवारों की कला अब छोटे से गांव से निकलकर मुम्बई, नागपुर, अमरावती, गोंदिया, बालाघाट, राऊरकेला, झारसुगुड़ा, संबलपुर, हैदराबाद पहुंची है। इस बार यहां भगवान गणेश की करीब 6200 से ज्यादा प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है।
मूर्तिकार लव चक्रधारी ने बताया कि उन्होंने खुद गांव को शिल्पग्राम का दर्जा दिलाने पहल की थी, लेकिन यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने बताया कि गणेशोत्सव व दुर्गोत्सव में ग्राम में पर्यटन स्थल जैसा माहौल रहता है। इस दौरान आने वाले लोगों के लिए भी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते हैं कि वे परिवार के पांचवीं पीढ़ी के सदस्य हैं, जो इस कला में लगे हैं। उन्होंने अपने पिता राधेश्याम चक्रधारी से यह कला सीखी। परिवार में इस कला की शुरूआत पिता राधेश्याम के परदादा सोभान चक्रधारी ने की। इसके बाद दादा बृजलाल से तीसरी पीढ़ी के भाइयों जालम, बालम, प्रेम, मिलन और श्यामलाल तक यह कला पहुंची। पिता राधेश्याम को उनके पिता जालम चक्रधारी ने मूर्तिकला सिखाई।
इस बार न सिर्फ ज्यादा प्रतिमाओं के ऑर्डर हैं, बल्कि बड़ी मूर्तियों की मांग भी बढ़ी है। ऐसे में इस बार 1 से 20 फीट तक की मूर्तियां तैयार की जा रही है। इनकी कीमत साइज और साज-सज्जा के आधार पर 200 रुपए से 3 लाख तक रखी गई है। इस बार ज्यादा मांग लंबोदर की मूर्तियों की है।
प्रतिमाओं के निर्माण के 35 वर्कशॉप में करीब एक हजार लोगों को रोजगार मिलता है। इनमें चक्रधारी परिवार के लोगों के साथ आसपास के गांवों के 150 से ज्यादा कारीगर भी शामिल हैं। चक्रधारी परिवार के सभी सदस्य इस कार्य में हाथ बंटाते हैं। इस कला में बेटियां भी पारंगत है। बेटियां मूर्तियों को सजाने का काम करतीं हैं।