CG Education: जांच के लिए भेजी गई उत्तरपुस्तिकाएं सही प्रोफेसर तक नहीं पहुंचती तो कहीं कोई अन्य प्रोफेसर किसी दूसरे के नाम से उत्तरपुस्तिकाएं इशू होने के मामले सामने आए हैं।
CG Education: उत्तरपुस्तिका की जांच के लिए प्रोफेसरों को वितरित होने वाली कॉपियों का हिसाब अब हेमचंद यादव विश्वविद्यालय सॉटवेयर के माध्यम से रखेगा। अभी तक यह सभी प्रक्रियाएं मैनुअल की जाती है, जिससे किस प्रोफेसर को कौन सी और कितनी उत्तरपुस्तिका जांच के लिए दी गई इसका सटीक आंकलन करने में
कई बार जांच के लिए भेजी गई उत्तरपुस्तिकाएं सही प्रोफेसर तक नहीं पहुंचती तो कहीं कोई अन्य प्रोफेसर किसी दूसरे के नाम से उत्तरपुस्तिकाएं इशू होने के मामले सामने आए हैं। हाल ही में हुई कार्यपरिषद की बैठक में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय इसके लिए विशेष तंत्र तैयार कराएगा। इसके लिए सॉटवेयर व सिस्टम तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय ने 30 लाख रुपए का प्रावधान बजट में किया है।
उत्तरपुस्तिका की जांच और प्रोफेसरों के भुगतान को ऑटोमेशन मोड में रखा जाएगा। विशेष सॉटवेयर के माध्यम से उत्तरपुस्तिका जांचने के लिए प्रोफेसरों को असाइन किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि प्रोफेसर अधिक से अधिक उत्तरपुस्तिका जांचकर पैसा कमाने की जद्दोजहर नहीं कर पाएंगे और मूल्यांकन कार्य में गुणवत्ता आएगी। इसी सॉटवेयर के माध्यम से उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन करने वाले प्रोफेसरों का भुगतान भी हो जाएगा।
हाल ही में पूरक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका जाचं के दौरान राजनांदगांव के तीन प्रोफेसरों ने बड़ा कारनाम किया, जिससे करीब 415 विद्यार्थी जो पहले पास थे, वे सभी फेल हो गए। दरअसल, एक प्रोफेसर ने किसी अन्य प्रोफेसर के नाम से उत्तरपुस्तिका इशू करा ली। विश्वविद्यालय को भी इसका पता बाद में चला। उक्त प्रोफेसर ने उत्तरपुस्तिका की जांच के बाद रीटोटलिंग में ब्लंडर गड़बड़ी की।
इसकी वजह से विश्वविद्यालय को पूरी उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा से जांचनी पड़ी। अब विश्वविद्यालय ने कॉलेज के तीनों प्रोफेसरों पर कार्रवाई करते हुए उन पर परीक्षा कार्य से वंचित करने की कार्रवाई की है। यह मामला बीएससी केमिस्ट्री में हुआ। मामले की गंभीरता को समझते हुए भविष्य में इस तरह की परेशानियों से बचने विश्वविद्यालय में पूरा सिस्टम ऑटोमेड करने का निर्णय लिया।