शुभ कार्य भी रहेंगे वर्जित
Bhilwara news : इस बार होलिका दहन पर्व 13 मार्च को मनेगा तो धुलंडी 14 मार्च को खेली जाएगी। इसके पहले 7 मार्च से होलाष्टक शुरू होंगे। इसके चलते शुभ मांगलिक कार्य करना वर्जित रहेगा। पंडित अशोक व्यास ने बताया कि पूर्णिमा पर 13 मार्च को रात 11.28 से रात 12.32 बजे तक होलिका दहन करना शुभ रहेगा। चुंकि इस दौरान भद्रा समाप्त हो जाएगा। फाल्गुनी पूर्णिमा 13 मार्च सुबह 10.36 से 14 मार्च दोपहर 12.24 तक रहेगी। साथ ही भद्रा भी रात 11.28 तक रहेगी। भद्रा के मुख का समय रात 8.14 से रात 10.22 बजे व भद्रा की पूंछ का समय शाम 6.57 से रात 8.14 बजे तक होगा। इसके चलते दहन-पूजन के लिए 1 घंटा 4 मिनट ही मिलेंगे। 13 मार्च सुबह 10.36 बजे के बाद फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा का आरंभ होगा और वह 14 मार्च को आधे दिन रहेगा। होलिका पर्व उच्च के शुक्र, सिंह के चंद्रमा व मीन संक्रांति 14 मार्च के पूर्व मनाया जाएगा।
शुभ कार्य भी रहेंगे वर्जित
होलाष्टक के चलते शुभ कार्यों पर भी प्रतिबंध रहेगा। इस दिन से सभी ग्रह उग्र हो जाते हैं और अनुकूल फल प्रदान नहीं करते। अष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश वर्जित है। इस दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं। इनके उग्र होने से कारण मनुष्य की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक बदलाव आता है। होलिका अष्टक से पूर्व जिन युवतियों के विवाह के लिए यह होली पहली होगी। उन्हें ससुराल में होली मनाने की बजाए अपने मायके में होली का पर्व मनाना चाहिए। ऐसी लोक मान्यता है कि नव विवाहिता को प्रथम बार ससुराल में जलती होली नहीं देखनी चाहिए।